हादसे की कुछ भयावह तस्वीरें
16 मार्च 1988 का दिन जब इराक ने कुर्दिस्तान क्षेत्र में आने वाले हलबजा (Halabja) शहर पर ईरान के साथ युद्ध के दौरान जहरीली मस्टर्ड गैस छोड़ दी, जिससे करीब 5,000 लोग दम घुटने से मौत के आगोश में समा गए. इतिहास की यह घटना कभी नहीं भूली जा सकेगी. हलबजा शहर पर इराक द्वारा किए गए रासायनिक हमले को अभी तक का सबसे संगीन और दर्दनाक हमला माना गया है.
हलबजा शहर इरान के कुर्दिस्तान क्षेत्र में आता है और यह हमला इराक में ईरान-इराक युद्ध के अंतिम दिनों में इराकी-कुर्द संघर्ष के दौरान किया गया था. कुर्दिस्तान क्षेत्र इराक गणराज्य के भीतर एक स्वायत्त प्रशासनिक इकाई है. कुर्दिस्तान क्षेत्र की सीमा पूर्व में ईरान, उत्तर में तुर्की और पश्चिम में सीरिया से लगती है.
ईरान की सीमा पर स्थित हलबजा शहर में अधिकतर कुर्द लोग रहते थे. दरअसल ईरान और इराक में जबरदस्त युद्ध चल रहा था और ईरान की सेना जब इराक की सीमा पर हलबजा पहुंची तो यहां के कुर्दों ने ईरानियों का भरपूर स्वागत किया.
इससे इराक के तानाशाह शासन सद्दाम हुसैन बहुत नाराज हुए. उन्होंने 16 मार्च, 1988 को हलबजा पर केमिकल हमला (Halabja Massacre) कर दिया. पलक झपकते ही जहरीली मस्टर्ड गैस से 5 हजार से ज्यादा लोग मौत के मुंह में समा गए. जबकि करीब 10 हजार लोग जिंदगी भर के लिए कैंसर समेत किसी न किसी तरह की बीमारी से ग्रसित हो गए. यह घटना इतिहास में नागरिक-आबादी वाले क्षेत्र के खिलाफ सबसे बड़ा रासायनिक हथियार हमला था.
इस हमले का इतना बड़ा असर पड़ा कि कुछ शोधकर्ताओं का यह मानना है कि इससे लोगों में आनुवंशिक विकृतियां पैदा हो गईं. सद्दाम हुसैन और उसके चचेरे भाई अली हसन की यह कारगुजारी लोगों को हमेशा याद रहेगी.
यह हमला कुर्दिस्तान में इराक के ‘अल-अनफाल’ अभियान का हिस्सा था. साथ ही ईरानी ‘ऑपरेशन जफर 7’ को पीछे हटाने के इराकी सेना के प्रयास का भी हिस्सा था. यह हमला ईरानी सेना द्वारा हलबजा शहर पर कब्जा करने के 48 घंटे बाद हुआ था. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक चिकित्सा जांच ने निष्कर्ष निकाला था कि हमले में अज्ञात नर्व एजेंट्स के साथ मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया गया था.