सरबजीत सिंह की बेटियां पूनम और स्वपनदीप अमृतसर के पास भिखीविंड गांव में मां सुखप्रीत कौर के साथ. (फाइल फोटो)
पाकिस्तानी मीडिया ने रविवार (14 अप्रैल) को बताया कि 2013 में कोट लखपत जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की नृशंस हत्या के आरोपियों में से एक को लाहौर के इस्लामपुरा इलाके में दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी.
आमिर सरफराज उर्फ तांबा को अज्ञात हमलावरों ने उसके घर में घुसकर गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई. हमलावर एक बाइक पर आए थे. उन्होंने आमिर सरफराज के घर की डोरबेल बजाई और जैसे ही वह बाहर आया, हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलिया चलाकर उसे छलनी कर दिया और मौके से फरार हो गए.
अज्ञात हमलावरों ने मारी सरफराज को गोली
मिली जानकारी के अनुसार, आमिर सरफराज को करीब 4-5 गोलियां मारी गईं, हमलावर रात के करीब डेढ़ बजे उसके घर पहुंचे थे. गोलियां लगने के बाद उसे आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसने दम तोड़ दिया.
ISI से मिली हुई थी सुरक्षा
बता दें कि लाहौर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है. वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था. उसकी मौत के बाद से आतंकियों में दहशत फैल गई है. सरफराज को ISI की ओर से सुरक्षा मिली हुई थी.
सरबजीत पर किया था हमला
सरबजीत के ऊपर किए गए हमले के आरोप में उस पर मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन बाद में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया था. आमिर को 2018 में अदालत ने बरी किया था. आमिर सरफराज लाहौर का असली डॉन के रूप में मशहूर था. आमिर ट्रकेनवाला गिरोह का सदस्य भी था.
मालूम हो कि उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल के अंदर तांबा सहित अन्य कैदियों द्वारा किए गए क्रूर हमले के बाद लगभग एक सप्ताह तक बेहोश रहने के बाद 49 वर्षीय सरबजीत सिंह की 2 मई 2013 की सुबह जिन्ना अस्पताल लाहौर में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई थी.
पाकिस्तानी कैदियों ने सरबजीत सिंह पर ईंटों और लोहे की छड़ों से हमला किया था. सिंह को कथित तौर पर 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कई बम विस्फोटों में भाग लेने का दोषी पाया गया था और उन्हें मौत की सजा दी गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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