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Earthquake: नेपाल से लेकर अफगानिस्तान तक हिली धरती, 36 घंटे में दूसरी बार आया भूकंप

नेपाल में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रविवार की सुबह आए भूकंप की तीव्रता 3.6 बताई गई है.

नेपाल में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रविवार की सुबह आए भूकंप की तीव्रता 3.6 बताई गई है. हालांकि नेपाल में आए अबकी बार के भूंकप का असर भारत में नहीं हुआ है. वहीं अफगानिस्तान के फैजाबाद में भी देर रात भूकंप के झटके महसूस हुए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, तीव्रता 4.5 थी.

160 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत

बता दें कि इससे पहले बीते शुक्रवार को नेपाल में भूकंप ने भीषण तबाही मचाई थी. 6.4 तीव्रता के आए भूकंप में जान-माल की भारी क्षति हुई थी. इस आपदा में 160 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा 375 से ज्यादा लोग घायल हो गए. मलबे में दबे लोगों की तलाश अभी भी जारी है.

पिछले महीने भी नेपाल में आया था भूकंप

नेपाल में पिछले कुछ महीने में भूकंप की घटनाओं में काफी वृद्धि देखी गई है. इसी साल अक्टूबर महीने में 22 तारीख को भी भूकंप आया था. जिसका केंद्र नेपाल था. नेपाल में भूकंप के चार झटके लगे थे. जिसमें पहला झटका सुबह 7 बजकर 39 मिनट पर लगा, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1, उसके बाद दूसर झटका 4.2 जो 8 बजकर 8 मिनट पर, तीसरा झटका 8:28 बजे और चौथा झटका 8बडकर 59 मिनट पर आया था.

लामिडांडा इलाके में था भूकंप का केंद्र

भूकंप का केंद्र नेपाल के जाजरकोट जिले के लामिडांडा इलाके में था. नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने भूकंप में मरने वाले लोगों के प्रति शोक जताया है. उन्होंने कहा कि राहत-बचाव कार्य के लिए 3 सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया. तेजी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

उत्तर भारत में भी महसूस हुए भूकंप के झटके

शुक्रवार को आए भूकंप के झटके यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश भोपाल समेत पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता ज्यादा होने से लोग सहम गए. जिससे लोग घरों के बाहर निकलकर पार्कों, सड़कों और खुले स्थानों पर दिखाई दिए.

यह भी पढ़ें- Earthquake: नेपाल में भूकंप से भारी तबाही, 128 लोगों की मौत, मलबे में तब्दील हुईं इमारतें, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

भू-विज्ञान की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि कम तीव्रता वाले भूकंपों का आना जरूरी होता है. इससे बड़े जोखिम कम हो जाते हैं. जब ज्यादा समय तक भूकंप नहीं आते हैं तो धरती के नीचे ऊर्जा एकत्रित हो जाती है. जिससे बड़े भूकंपों के आने की संभावना पैदा करती है.

-भारत एक्सप्रेस

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