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जानिए, 4 साल में ईरान को कैसे लगे 5 बड़े झटके

पिछले 4 सालों के 5 बड़े झटकों के बारे में जान लेना तब और जरुरी हो जाता है जब ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की एक साथ एक दुर्घटना में मौत हो गई हो.

Pakistan Air Strike In Iran Baloch Militants

ईरान के पूर्व प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी.

Iran News: इस्लामिक रिपब्लिक के शासन वाले ईरान कभी परसिया के नाम से भी जाना जाता था. वैश्विक नक्शे में ईरान की मौजूदगी जिस स्थान पर है, उसकी वजह से ईरान पूरे विश्व समुदाय में महत्वपूर्ण हो जाता है. मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के अरब राज्यों के नजदीक ईरान पर मौजूदगी का एहसास कराता है. ईरान के एक तरफ ईराक तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान स्थित हैं. इस स्थान पर मौजूदगी और दक्षिण में फारस की खाड़ी तक पहुंच ने ईरान को वैश्विक मामलों में मजबूती दी है. ईरान दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण खनिज उत्पादक देशों में से एक है, ईरान विश्व के 15 प्रमुख खनिज समृद्ध देशों में शामिल है. ईरान में मुख्यतः 68 प्रकार के खनिज हैं, जिनमें क्रोम, सीसा, जस्ता, तांबा, कोयला, सोना, टिन और लोहा शामिल हैं. लेकिन ईरान को पिछले 4 सालों में 5 बड़े झटके लगे हैं जिसकी वजह से ईरान और ईरान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. पिछले 4 सालों के 5 बड़े झटकों के बारे में जान लेना तब और जरुरी हो जाता है जब ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की एक साथ एक दुर्घटना में मौत हो गई हो.

2020 में कासिम सुलेमानी की मौत

कासिम सुलेमानी ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स माने जाते थे. कुद्स फोर्स नाम की ईरान की सबसे सशक्त सैन्य टुकड़ी का दारोमदार कासिम सुलेमानी पर था. कुद्स फोर्स विदेशों में ईरान के हितों के मद्देनजर मिलिट्री अभियान चलाता है. सुलेमानी 1998 से 2020 तक इसके मुखिया रहे. सुलेमानी ने अफगानिस्तान में अमेरिका के हमले के दौरान ईरान और तालिबान के बीच सुलह कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

इसके अलावा सुलेमानी ने 2006 के लेबनान युद्ध में कई ऐसे फैसले किए जिससे ईरान के हित सधे. हालांकि, सुलेमानी पर कई बम ब्लास्ट और गृह युद्ध भड़काने के भी आरोप लगे. सुलेमानी के ऑपरेशन्स को अमेरिका और सऊदी अरब के हितों के खिलाफ देखा गया. लेकिन अमेरिका से सुलेमानी के रिश्ते कभी अच्छे नही रहे और अमेरिका ने सुलेमानी को आतंकवादी मानना शुरू कर दिया. 2020 में एक ड्रोन कार्रवाई में सुलेमानी की हत्या कर दी गई. सुलेमानी की हत्या से ईरान को कितना बड़ा झटका लगा कि जब सुलेमानी का जनाजा निकला तो उसमें शामिल होने के लिए ईरान की एक बड़ी आबादी सड़कों पर आ गई. लोगों का हुजूम इतना की भगदड़ मच गई. उस भगदड़ में करीब 56 लोगों की मौत गई और 200 से भी ज्यादा लोग घायल हो गये थे. सुलेमानी की हत्या के बाद भी ईरान में उनकी बरसी पर चीजें बिगड़ती रही.

2020 में न्यूक्लियर साइंटिस्ट की हत्या

ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर भी दुनिया के कई देशों को आपत्ति है. ईरान इसको अपने लिए बेहद जरुरी मानता है. तो वहीं इजराइल और अमेरिका इसका पुरजोर विरोध करते हैं. 2020 के नवम्बर महीने में ईरान के चीफ न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह की हत्या हो गई. 29 नवंबर को ईरान की राजधानी तेहरान के एक हाईवे पर चीफ न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह की हत्या हो गई. मोहसिन फखरीजादेह आम न्यूक्लियर साइंटिस्टों की तरह ही बहुत लो-प्रोफाइल रहा करते थे और उनको ईरान के शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए खासा सराहा जाता था. ईरान के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार फखरीजादेह मुजाहिद्दीन-ए-खल्क नाम के एक आतंकी संगठन के हमले का शिकार हुए. कहा जाता है कि फखरीजादेह की हत्या से पहले उनकी पहचान एआई के जरिये की गई थी और यह हमला इजराइल के इशारे पर हुआ था.

2024 में सुलेमानी की बरसी पर धमाके

जनरल कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी पर ईरान के करमान शहर में तीन जनवरी को कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था की इस शोक सभा में लाशों की ढेर लगनी वाली है. कुछ ही समय बाद वहां दो धमाके हुए और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और तकरीबन 170 लोग घायल हो गये. दोनों धमाके के बीच का समय तकरीबन दस मिनट था यानी कि जबतक कोई कुछ समझ पाता तबतक दूसरा धमाका भी हो गया. ईरान के उप गवर्नर ने इसको एक आतंकी हमला माना और ईरान के रक्षा मंत्री ने धमाके के बाद उसमें इजराइल का हाथ होने की बात कही. हालांकि, बाद में एक आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ले ली थी.

2024 में सीरिया में ईरान के दूतावास पर हमला

अभी ईरान इस साल के शुरुआती सप्ताह में हुए बम धमाकों से उबरा भी नही था तबतक अप्रैल में सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमला हो गया. किसी देश के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले को उस देश पर हमला माना जाता है. ईरान ने भी ऐसा ही माना और इस हमले के पीछे भी इजराइल का हाथ माना. आखिरकार ईरान ने बदला लेने की ठानी और इजराइल पर ड्रोन हमला कर दिया. हालांकि, ईरान की ओर से किए गए ड्रोन हमले को इजराइल ने नाकाम कर दिया. ईरान और इजराइल 80 के दशक से पहले एक दूसरे के बड़े साझेदार थे लेकिन 80 के दशक के बाद दोनों के बीच रिश्ते खराब हो गए. इस हमले में इजराइल का भले नुकसान नही हुआ लेकिन ईरान इस बात से खुश था कि उसने मजबूती के साथ इजराइल का प्रतिउत्तर दिया.

अब राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत

हेलिकॉप्टर हादसे में कल 19 मई को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियान और कई ताकतवर लोगों की जान चली गई. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की उम्र 63 साल थी. पिछले चार सालों में ईरान को एक के बाद एक कई मुसीबतों और संकटों का सामना करना पड़ा है. इसमें ईरान के सबसे ताकतवर सैन्य कमांडर की मौत से लेकर, न्यूक्लियर वैज्ञानिक की मौत, बम ब्लास्ट और अब हेलिकॉप्टर हादसा शामिल है.

अब कौन करेगा नेतृत्व

किसी भी देश के लिए उसके राष्ट्रपति का यूं असमय निधन हो जाना बड़ा झटका माना जाता है. 4 साल के अन्दर ही ऐसी 5 बड़ी घटनाओं ने ईरान के लोगो को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में एक सवाल उठता है कि अब ईरान का नेतृत्व कौन करेगा?

ईरान के सबसे ताकतवर व्यक्ति माने जाने वाले अयातुल्ला अली खामेनेई की उम्र 85 साल हो चुकी है. ईरान के उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है लेकिन 50 दिनों के अन्दर ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है. ऐसे में, देश का नेतृत्व करने के लिए किसी काबिल, भरोसेमंद चेहरे की तलाश काफी अहम और चुनौतीपूर्ण रहने वाली है.

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