भारत दौरे पर आए मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा है कि वे विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण के लिए भारत के अनुरोध के संबंध में ‘किसी भी सबूत के लिए तैयार हैं’. एक इंटरव्यू के दौरान अनवर इब्राहिम ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि नाइक ने मलेशिया में भारत के खिलाफ कुछ भी विवादास्पद नहीं कहा है.
2022 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भारत की यात्रा पर आए इब्राहिम ने कहा, ‘जब तक जाकिर नाइक समस्याएं पैदा नहीं करता या सुरक्षा को खतरा नहीं पहुंचाता, हम इस मामले को यहीं रहने देंगे. लेकिन हम भारत द्वारा कानून के तहत उसे प्रत्यर्पित करने के लिए दिए जाने वाले किसी भी सबूत के लिए तैयार हैं.’
भारत यात्रा के दौरान अनवर इब्राहिम ने 20 अगस्त को दिल्ली में ‘इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स’ के एक कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर बात करने से इनकार करते हुए कहा कि यह भारत का ‘पूरी तरह से घरेलू मुद्दा’ है. उन्होंने कहा, ‘हमने कश्मीर पर कोई खुला रुख नहीं अपनाया है. हमें शांति और सुरक्षा की जरूरत है और हमें तनाव कम करने की जरूरत है.’
यह टिप्पणी पूर्व मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को पारित करने के भारत के कदम की आलोचना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद आई है.
मालूम हो कि अगस्त 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 हटाकर इसका विशेष दर्जा खत्म किया था तो मलेशिया उन देशों में शामिल था, जिन्होंने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया था. मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने सितंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र में कहा था, ‘भारत ने कश्मीर पर कब्जा कर रखा है.’ मलेशिया के इस रुख को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
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हालांकि, अनवर इब्राहिम ने भारत में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की भलाई पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, ‘जैसे भारत को मलेशिया से सवाल पूछने का अधिकार है, वैसे ही हमें भी धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की चिंताओं पर सवाल उठाने का अधिकार है.’
अनवर इब्राहिम ने कहा, ‘मैं इस तथ्य से इनकार नहीं करूंगा कि भारत को भी अल्पसंख्यकों और धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों से जूझना पड़ता है, लेकिन हमें उम्मीद है कि भारत अपनी सही भूमिका निभाता रहेगा.’
भारत यात्रा के दौरान मलेशियाई प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक की और उन्हें अगले साल मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.
बैठक के दौरान भारत और मलेशिया ने अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया तथा आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
यह स्वीकार करते हुए कि रोहिंग्या शरणार्थी संकट मलेशिया के लिए एक समस्या है, इब्राहिम ने कहा, ‘हमें उनकी रक्षा करनी है लेकिन मलेशिया में 2,00,000 शरणार्थी कठिनाइयों का कारण बन रहे हैं.’
म्यांमार और बांग्लादेश में उत्पीड़न से बचने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए मलेशिया पसंदीदा देशों में से एक के रूप में उभरा है. हालांकि मलेशिया उन्हें शरणार्थी का दर्जा नहीं देता है, लेकिन इसमें 1,80,000 से ज्यादा शरणार्थी और शरण चाहने वाले लोग रहते हैं. हजारों लोग समुद्र के रास्ते आने के बाद अवैध रूप से देश में रहते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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