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आतंकवादी की अंत्येष्टि में पाकिस्तानी सेना और सरकारी अधिकारियों ने बहाए आंसू, X पर Judea Pearl ने उठाए सवाल

Daniel Pearl’s father Que On Pakistan: पाकिस्तान में आतंकवादी की अंत्येष्टि में सेना और सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी ने विवाद खड़ा किया. भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर को मार गिराया था.

Funeral of Terrorist in Pak
Vijay Ram Edited by Vijay Ram

Terrorism in Pakistan: पाकिस्तान में एक आतंकवादी की अंत्येष्टि में पाकिस्तानी सेना और सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा कर दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वायरल एक तस्वीर में देखा जा सकता है कि इस अंत्येष्टि में कई सैन्य अधिकारी और सिविल ड्रेस में सरकारी प्रतिनिधि मौजूद थे.

तस्वीर में एक मुल्‍ला दुआ पढते दिख रहे हैं, जबकि सामने दो ताबूत रखे हैं, जिन पर फूल और कबूतर के प्रतीक बने हैं. इस घटना ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों को फिर से हवा दी है.

जूडिया पर्ल ने दागा सवाल

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, पत्रकार डेनियल पर्ल के पिता जूडिया पर्ल ने 9 मई 2025 को X पर तीखे सवाल उठाए. उन्होंने लिखा, “मैं चाहता हूं कि ये सम्मानित लोग हमें बताएं: आप किस बात का शोक मना रहे हैं? आप अपने बच्चों के लिए किस तरह के रोल मॉडल चाहते हैं? इस व्यक्ति से आपने क्या सीखा?”

जूडिया पर्ल के सवालों ने पाकिस्तान सरकार और सेना की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

भारत का ऑपरेशन सिंदूर

बता दें कि 6 मई की रात को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्‍तान में जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाया था. इस ऑपरेशन में आतंकवादी संगठन के प्रमुख अब्दुल रऊफ अजहर सहित कई बड़े आतंकवादी मारे गए. भारत की इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान में इस अंत्येष्टि ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या वहां आतंकवाद को अभी भी सरकारी समर्थन मिल रहा है.

आतंक पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

X पर एक यूजर ने टिप्पणी की, “आतंकवादी की अंत्येष्टि में पाकिस्तानी सेना और सरकारी अधिकारी शामिल हुए. विश्व बैंक और IMF पाकिस्तान को कर्ज देते हैं, और पाकिस्तान अपनी आतंकवादी सेना को प्रायोजित करता है.” यह बयान पाकिस्तान पर लगे आतंकवाद प्रायोजन के आरोपों को और मजबूत करता है. इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है.



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