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महंगाई से बेहाल जनता पर पाकिस्तानी सरकार डाल सकती है टैक्स का बोझ, IMF की शर्तों को किया स्वीकार

Economic Crisis in Pakistan: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से लोन की गुहार लगाता पाकिस्तान अब रुके हुए ऋण कार्यक्रम को एक बार फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है.

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पाकिस्तान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ (फोटो ट्विटर)

Economic Crisis in Pakistan: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आर्थिक संकट दिन-प्रतिदिन गहराते ही जा रहा है. आर्थिक मोर्चे पर नाकाम पाकिस्तान अब देश के बाहर से मदद मांग रहा है. वहीं अब वह किसी भी तरह की शर्त को मानने के लिए तैयार है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से लोन की गुहार लगाता पाकिस्तान अब रुके हुए ऋण कार्यक्रम को एक बार फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है. इसके लिए नए करों के जरिये 200 अरब रुपये की राजस्व वसूली के लिए दो मसौदा अध्यादेश तैयार किए गए हैं.

आईएमएफ की मांग के बाद उठाया यह कदम

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ऋण देने के लिए पाकिस्तान के सामने कुछ शर्तें रखी थीं. पाकिस्तान द्वारा यह कदम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ऋण संबंधी मांगों को स्वीकार करने के बाद उठाया है.

पाकिस्तान बंद करेगा बिजली सब्सिडी

 पाकिस्तान अपने आर्थिक संकट को दूर करने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहा है. पाकिस्तान द्वारा आईएमएफ की मांगों को स्वीकार करना इसी क्रम में बताया जा रहा है. इस मसौदे के तहत बने अध्यादेश में से एक बाढ़ शुल्क के लिए 100 अरब रुपये के लिए तैयार किया गया हैं.

वहीं रात के वक्त बाजारों को बंद करने के बाद अब पाकिस्तान बिजली सब्सिडी भी बंद करने पर विचार कर रहा है. इसके अलावा निर्यात के लिए कच्चेमाल पर बिक्री कर लगाने के अलावा बिजली और गैस टैरिफ में बढ़ोतरी पर भी विचार कर रहा है.

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पाक प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद आईएमएफ टीम कल पहुंच सकती है इस्लामाबाद

पाक प्रधानमंत्री द्वारा इन नीतिगत उपायों को लागू करने का आश्वासन दिए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की टीम कल 31 जनवरी को इस्लामाबाद पहुंच सकती है. बताया जा रहा है कि आईएमएफ की यह टीम लगभग चार महीने से राजनीतिक कारणों से पाक दौरे पर नहीं आ पा रही थी.

इस सिलसिले में पाकिस्तान के एक कर अधिकारी ने इस बात को बताया कि उन्होंने दोनों अध्यादेश तैयार किए हैं. इन अध्यादेश के तहत विलासिता की वस्तुओं पर लगने वाली कर की दरों और नियामक शुल्क में वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा पेट्रोलियम की कीमतों में 20 रुपये से 40 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है. ऋणदाता के इनकार करने के बाद सरकार को आईएमएफ की शर्तों को स्वीकार करना पड़ा.

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