आतंकी आमिर सरफराज (फाइल फोटो)
पाकिस्तान के लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के आरोपी आमिर सरफराज उर्फ तांबा की गोली मारकर हत्या कर दी थी. 15 अप्रैल को सरफराज को दो बाइक सवार हमलावरों ने उसके घर पर गोली मारी थी, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी. अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि आमिर सरफराज अभी जिंदा है.
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी माने जाने वाले आतंकी आमिर सरफरार को उसके सनंत नगर स्थित घर पर गोली मारी गई थी. दो हमलावर बाइक से आए और उन्होंने घर की डोरबेल बजाई. जैसे ही सरफराज ने दरवाजा खोला, हमलावरों ने उस पर फायरिंग कर दी. उसे 3-4 गोलियां लगी थीं, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी.
अभी जिंदा है सरफराज
आमिर सरफराज पर हुए हमले को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) ऑपरेशंस लाहौर सैयद अली रजा ने डॉन अखबार को बताया कि वह अभी भी जिंदा है पर गंभीर रूप से घायल है. हालांकि उन्होंने ये जानकारी नहीं दी कि आमिर सरफराज का किस अस्पताल में इलाज चल रहा है.
सरफराज को ISI की ओर से सुरक्षा मिली हुई थी
बता दें कि लाहौर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है. वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था. उसकी मौत के बाद से आतंकियों में दहशत फैल गई है. सरफराज को ISI की ओर से सुरक्षा मिली हुई थी.
भारतीय कैदी सरबजीत पर किया था हमला
सरबजीत के ऊपर किए गए हमले के आरोप में उस पर मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन बाद में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया था. आमिर को 2018 में अदालत ने बरी किया था. आमिर सरफराज लाहौर का असली डॉन के रूप में मशहूर था. आमिर ट्रकेनवाला गिरोह का सदस्य भी था.
मालूम हो कि उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल के अंदर तांबा सहित अन्य कैदियों द्वारा किए गए क्रूर हमले के बाद लगभग एक सप्ताह तक बेहोश रहने के बाद 49 वर्षीय सरबजीत सिंह की 2 मई 2013 की सुबह जिन्ना अस्पताल लाहौर में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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