Bharat Express

The Lotus-Born Master: भूटान और तिब्बत में गुरु पद्मसंभव की बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में खास भूमिका

Guru Padmasambhava: भूटान में बौद्ध धर्म की स्थापना में उनकी भूमिका गुरु के समान और बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. भूटानी साहित्य में उन्हें एक दिव्य व्यक्ति के रूप में बताया गया है.

PadamSambhaw

भूटान और तिब्बत में गुरु पद्मसंभव

Guru Padmasambhava: बौद्ध साहित्य के विशाल परिदृश्य में, पद्मसंभव को गुरु रिनपोछे के नाम से भी जाना जाता है. पद्मसंभव भारत के एक महान संत थे जिन्होने आठवीं शती में बौद्ध धर्म का भूटान एवं तिब्बत में प्रचार प्रसार करने में खास भूमिका निभायी. भूटान और तिब्बत की साहित्यिक परंपराओं में उनकी उपस्थिति की गहराई मात्र इसी से पता चलती है कि ञिङमा सम्प्रदाय के अनुयायी उन्हें दूसरा बुद्ध मानते हैं.

दिव्य व्यक्ति की उपाधि

भूटानी साहित्य में पद्मसंभव के कालक्रम को काफी गहराई से चित्रित किया गया है. भूटान में बौद्ध धर्म की स्थापना में उनकी भूमिका गुरु के समान और बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. भूटानी साहित्य में उन्हें एक दिव्य व्यक्ति के रूप में बताया गया है, इसका मुख्य कारण जो इन धार्मिक ग्रंथो और वहां की किताबों में बताया गया है वो यह है कि उन्होंने स्थानीय देवताओं और राक्षसों को अपने आध्यात्मिक प्रयासों द्वारा धर्म के रक्षकों में बदल दिया. तिब्बती साहित्य में पद्मसंभव की जीवनी के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है. उनकी जीवन गाथाएँ, जिन्हें अक्सर टर्मा कहा जाता है उनके जीवन उनकी शिक्षाओं और आध्यात्मिक विजय का विस्तृत विवरण प्रदान करता है. उनके जीवन को काफी रहस्यमयी बताया गया है.

इसे भी पढ़ें: सिख समुदाय का सेवा भाव, कोरोना से लेकर हर मुश्किल वक्त में मदद के लिए बढ़ाए हाथ

आत्माओं के साथ गुरु की बात

भूटानी साहित्य में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि स्थानीय आत्माओं के साथ गुरु पद्मसंभव की बातें हुआ करती थीं. किंवदंतियों और पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि वे कमल के फूल से पैदा हुए थे और कम उम्र से ही असाधारण आध्यात्मिक शक्तियों के मालिक बन बैठे. अपनी विद्वता और आध्यात्मिक उपलब्धियों के चलते शीघ्र ही वे समाज में लोकप्रिय हो गए. जब उन्हें तिब्बती राजा ठिसोंग देत्सेन ने तिब्बत में बौद्ध धर्म की स्थापना में मदद करने के लिए आमंत्रित किया उसके बाद से ही उनका जीवन एक नए अध्याय की ओर मुड़ा. तिब्बती ग्रंथ उनकी शिक्षाओं और आध्यात्मिक प्रथाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, वज्रयान बौद्ध धर्म के विकास में उनके योगदान पर प्रकाश डालते हैं.

Also Read