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आज के दिन जापान पर अमेरिका ने गिराया था दूसरा परमाणु बम, कुछ ही घंटों में काल के गाल में समा गए थे हजारों लोग

Atomic Bombings of Hiroshima and Nagasaki: 6 और 9 अगस्त 1945 की सुबह जापानियों के लिए बर्बादी लेकर लाईं, जब अमेरिकी वायु सेना ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे. उन हमलों का दंश आज तक दुख देता है.

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Atomic bombings of Nagasaki: आज यानी 9 अगस्त का ​दिन विश्व समुदाय के इतिहास में जापान पर हुए परमाणु हमले के लिए भी जाना जाता है. 1945 में 9 अगस्त को अमेरिका द्वारा जापान के नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया था, इससे ठीक 3 दिन पहले 6 अगस्त को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर को निशाना बनाया था.

दो शहरों पर परमाणु हमला होने के बाद जापान में हाहाकार मच गया और वहां की सरकार को तत्काल बिना शर्त आत्मसमर्पण करना पड़ा. हिरोशिमा और नागासाकी में हुई तबाही ने विश्व बिरादरी को भयभीत कर दिया था. इन ​हमलों के बाद अमेरिका सबसे बड़ी महाशक्ति बनकर उभरा. दुनिया में उसकी तूती बोलने लगी.

कहा जाता है कि जब जापान पर पहला परमाणु बम गिराया गया था, तो वहां की सरकार बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग को स्वीकार करने को तैयार नहीं थी. तब अमेरिका ने उस परमाणु हमले के 3 दिन बाद दूसरा परमाणु बम जिसे “फैट मैन” कहा गया, उसे जापानी शहर पर गिरा दिया. इस हमले के लिए अमेरिकी विमान ने एक द्वीप से उड़ान भरी थी.

नागासाकी जापान का एक प्रमुख जहाज निर्माण केंद्र था, वहां ऐसे जहाज बनते थे, जो जापानी नौसेना को अधिक विध्वंसकारी बनाते थे. अमेरिका ने इसीलिए नागासाकी शहर को निशाना बनाया, ताकि जापानी जहाज निर्माण केंद्र पूरी तरह ध्वस्त हो जाए. अमेरिकी विमान ने वो बम सुबह 11:02 बजे शहर से 1,650 फीट ऊपर से गिराया था. उस विस्फोट से 22,000 टन टीएनटी के बराबर उर्जा निकली.

इस परमाणु हमले में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 60,000 से 80,000 के बीच थी. इनके अलावा हजारों लोग ऐसे थे, जो बुरी तरह झुलस गए थे और उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई थी.

इस परमाणु हमले के लिए अमेरिका के जनरल लेस्ली आर. ग्रोव्स को जिम्मेदार माना गया, जो मैनहट्टन प्रोजेक्ट से जुड़ा था. उसने परमाणु विस्फोट के उत्पादन और वितरण की समस्या को हल किया था, उसने यह अनुमान लगाया था कि 17 या 18 अगस्त तक जापान के खिलाफ एक और परमाणु बम उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा – लेकिन यह आवश्यक नहीं था. क्योंकि, जापान दो परमाणु हमलों में ही बर्बाद हो गया था. अमेरिका यह जानकार अपनी नाक में दम भर रहा था कि तब जापान के सम्राट ने बिना शर्त आत्मसमर्पण किया था.

— भारत एक्सप्रेस

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