एआई से बनाई गई प्रतीकात्मक तस्वीर.
US-IRAN Talks: अमेरिकी सत्ता में वापस लौटने के बाद डॉनल्ड ट्रंप ईरान से बातचीत के लिए जोर दे रहे थे, जिसका परिणाम देखने को मिला. लंबे समय बाद ईरान और अमेरिका आखिरकार बातचीत की टेबल पर बैठे. शनिवार (12 अप्रैल) को मध्य पूर्व के देश ओमान की राजधानी मस्कट में दोनो देशों ने बातचीत शुरू की है. ईरान और अमेरिका ने परमाणु मुद्दे पर पहली अप्रत्यक्ष वार्ता के बाद अगली बातचीत 19 अप्रैल करने पर सहमति जताई.
इस वार्ता के लिए ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमद अल बुसैदी ने मध्यस्थता की. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची और अमेरिका के मिडिल-ईस्ट मामलों के दूत स्टीव विटकॉफ़ के बीच बात हुई है. यह मुलाकात दो घंटे से कुछ ज्यादा समय तक चली. बातचीत के लिए मस्कट के बाहरी इलाके में मौजूद एक कॉम्प्लैक्स को चुना गया था.
बराक ओबामा प्रशासन के बाद से अमेरिका की ईरान के बाद से न्युक्लियर प्रोग्राम पर यह पहली बातचीत है. बातचीत से पहले ईरान ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया था कि वह सिर्फ परमाणु कार्यक्रम पर बात करेगा.
ईरान के विदेश मंत्री अराक्ची ने शनिवार शाम को अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा, “अमेरिकी विशेष दूत @स्टीवविटकॉफ़ के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता का रचनात्मक और आशाजनक दौर, जिसकी मेज़बानी ओमान सल्तनत के मेरे भाई @बद्रलबसैदी ने की और जिसकी मध्यस्थता की.” वहीं अमेरिकी अधिकारियों की ओर से इस पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान और अमेरिका के शीर्ष वार्ताकारों ने ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमद अल बुसैदी के माध्यम से ईरान के परमाणु कार्यक्रम और देश पर से प्रतिबंधों को हटाने पर अपनी-अपनी सरकारों के विचारों का आदान-प्रदान किया.
विदेश मंत्री अराक्ची ने वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिए ओमान के विदेश मंत्री की सराहना की, उन्होंने कहा कि अल बुसैदी ने अपने संदेशों को पहुंचाने के लिए करने के लिए दोनों प्रतिनिधिमंडलों के बीच सक्रिय भुमिका निभाई.
इस बातचीत का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से बंद करवाना है, क्योंकि अमेरिका किसी भी कीमत पर एक परमाणु हथियारों से संपन्न ईरान बर्दाश्त नहीं हैै. अमेरिकी दूत विटकॉफ़ ने पहले साफ किया था कि अमेरिका का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करना है
वहीं ईरान भी अपने अधिकारों पर अडिग है और अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को पूरी तरह बंद करने को तैयार नहीं है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई लीबिया का हवाला देते हुए पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिका पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता.
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-भारत एक्सप्रेस
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