Bharat Express

चीन के साथ सीमा विवाद पर एस जयशंकर का बड़ा बयान, जानिए फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट पर क्या कहा

चीन द्वारा भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के राहुल गांधी के बयानों पर सवालों का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस नेता बहुत कुछ कहते हैं.

s-jaishankar

एस. जयशंकर, विदेश मंत्री

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चीन ने 2020 में गलवान गतिरोध के दौरान समझौतों का उल्लंघन कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, इसलिए जब तक सीमाओं पर शांति नहीं होगी, तब तक द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति नहीं हो सकती है. राजग सरकार के नौ साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को उजागर करने के अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि जब पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बात आती है, तो सीमा पार आतंकवाद की चुनौतियां हैं, जिसे भारत ने कभी बर्दाश्त नहीं किया.

उन्होंने कहा कि भारत जबरदस्ती, प्रलोभन और झूठे आख्यानों के बहकावे में नहीं आता है. जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद को अवैध घोषित कर दिया है. साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध जारी रहेंगे, क्योंकि पीछे हटना (सीमाओं पर) एक विस्तृत प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा, हम चीन के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन अगर शांति समझौते का उल्लंघन होता है तो क्या किया जा सकता है. हालांकि बातचीत होती है. हमने गलवान घटना से ठीक पहले चीन से बात की थी, हमने उन्हें अपने सैनिकों की आवाजाही के बारे में बताया. मैंने गलवान के बाद उनसे सिर्फ एक दिन बात की. हमें पीछे हटने का रास्ता खोजना होगा, अन्यथा सीमा की स्थिति में सुधार नहीं होने पर संबंध (चीन के साथ) बिगड़े रहेंगे.’

चीन द्वारा भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के राहुल गांधी के बयानों पर सवालों का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस नेता बहुत कुछ कहते हैं. जयशंकर ने कहा, उन्होंने (राहुल) पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा बनाए जा रहे एक पुल का उल्लेख किया. लेकिन वह 1962 में चीन द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र पर था. चीन ने 1950 के दशक से भारत में क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है. हालांकि 2020 में हमें आगे की तैनाती करनी पड़ी, जिसके कारण तनाव है. उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों को प्वाइंट स्कोरिंग कवायद नहीं बनाया जाना चाहिए, बल्कि इस पर बहस होनी चाहिए.

-आईएएनएस

Also Read