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क्या है जैस्मिन क्रांति? जिसने 13 साल में कई तानाशाहों की छीन ली सत्ता, होस्नी मुबारक से लेकर गद्दाफी और अब बशर अल-असद

अब इस फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है, सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद का. सीरिया में विद्रोहियों द्वारा होम्स और राजधानी दश्मिक पर कब्जा करने के बाद अल-असद एक विशेष विमान से रूस भाग गए.

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मुअम्मर अल-गद्दाफी, होस्नी मुबारक और बशर अल-असद.

होस्नी मुबारक, कर्नल गद्दाफी और अब बशर अल-असद की सत्ता को विद्रोह की आग ने जलाकर खाक कर दिया है. विद्रोह की ये आग करीब डेढ़ दशक पहले लगी थी, जो धीरे-धीरे करके कई तानाशाहों की चूलें हिला कर रख दी. इस विद्रोह की चिंगारी को जैस्मीन क्रांति या फिर अरब स्प्रिंग कहा गया.

ट्यूनीशिया से भड़की विद्रोह की यह चिंगारी मिस्र, लीबिया,यमन और सीरिया जैसे अरब देशों तक फैल गई. इस चिंगारी से लगी आग ने इन देशों की सत्ता और सत्ताधीश को अपनी जद में ले लिया.

होस्नी मुबारक ने गंवाई सत्ता

विद्रोह की आग से सत्ता गंवाने वाली फेहरिस्त में सबसे पहला नाम मिस्र के तानाशाह होस्नी मुबारक का है. होस्नी मुबारक ने मिस्र की सत्ता तब संभाली थी, जब 1981 में तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सदत की हत्या कर दी गई थी. तब से लेकर 2011 तक होस्नी मुबारक ने निष्कंटक राज किया, लेकिन 2011 में ट्यूनीशिया से शुरू हुए एक विद्रोह से निकली चिंगारी ने उनकी सत्ता के सिंहासन को पलट दिया और उन्हें गद्दी गंवानी पड़ी.

साल 2011 और जनवरी का महीना, मिस्र की राजधानी काहिरा के तहरीर स्क्वायर में होस्नी शासन के खिलाफ हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए, उन्होंने राजनीतिक सुधारों के साथ ही होस्नी मुबारक के इस्तीफे की मांग की, शुरुआत में होस्नी को लगा कि वह विरोध को सैन्य बल के जरिए दबाने में कामयाब हो जाएंगे, लेकिन वैश्विक दबाव और विद्रोह की बढ़ती आग के सामने उनकी यह रणनीति कामयाब नहीं हो पाई.

18 दिनों तक चला प्रदर्शन

मिस्र में 18 दिनों तक चले इस हिंसक विरोध प्रदर्शन में करीब ढाई सौ लोगों की मौत हुई, जिसके बाद मुबारक को कुर्सी छोड़नी पड़ी. होस्नी के इस्तीफे के बाद मिस्र पर सेना का शासन हो गया.

गद्दाफी के क्रूर शासन का अंत

जैस्मिन क्रांति की आग में सिर्फ मिस्र ही नहीं जला, इसकी आग ने लीबिया के क्रूर तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी की गद्दी को भी जलाकर राख कर दिया. 2011 में ही विद्रोही लड़ाकों ने राजधानी त्रिपोली में गद्दाफी के बाब अल-अजीजिया पर अपना कब्जा जमा लिया. विद्रोहियों ने गद्दाफी की मूर्तियों को तोड़ दिया. इसके अलावा गद्दाफी के महल में घुसकर जमकर लूटपाट की और गद्दाफी को बंधक बना लिया.

42 साल तक किया राज

गद्दाफी ने लीबिया पर 42 सालों तक एकछत्र राज किया. मुअम्मर अल गद्दाफी का जन्म 7 जून 1992 को लीबिया के सिर्ते शहर में हुआ था. वह बचपन से ही अरब राष्ट्रवाद से प्रभावित था. इतना ही नहीं, मिस्र के नेता गमाल अब्देल नासिर का बड़ा प्रशंसक भी था. जब त्रिपोली पर विद्रोहियों ने कब्जा किया तो मामला, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय पहुंचा. लीबिया की जनता पर अत्याचार करने के आरोप में गद्दाफी, बेटे सैफ अल इस्लाम और उसके बहनोई के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. हालांकि उसे गिरफ्तार तो नहीं किया जा सका, लेकिन उसके गृहनगर सिर्ते में उसे मार गिराया गया.

वहीं ट्यूनीशियाई क्रांति 28 दिन तक चलने वाला एक विद्रोह था. नागरिकों के इस विरोध के कारण जनवरी 2011 में लंबे समय तक राष्ट्रपति पद पर रहे जीन अल आबिदीन बेन अली को पद से हटने लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद देश में लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई.

अब बशर अल-असद का शासन खत्म

अब इस फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है, सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद का. सीरिया में विद्रोहियों द्वारा होम्स और राजधानी दश्मिक पर कब्जा करने के बाद अल-असद एक विशेष विमान से रूस भाग गए. अब सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है.

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राष्ट्रपति के देश छोड़ने के बाद सीरिया के प्रधानमंत्री ने विद्रोहियों को शांतिपूर्वक सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है. पीएम मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो के जरिए बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह देश में ही रहेंगे, सीरिया की जनता जिसे भी चुनेगी, उसके साथ मिलकर काम करेंगे. सीरिया में बशर अल-असद के 24 सालों के शासन और 13 साल से चला आ रहा गृह युद्ध भी खत्म हो गया. अब सीरिया पर हयात अल-शाम का कब्जा है. जिसका मुखिया अबू मोहम्मद अल जुलानी है.

-भारत एक्सप्रेस



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