प्रतीकात्मक तस्वीर
Noida: नोएडा के गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर 17 जनवरी की शाम मेट्रो के सामने कूदकर एक 16 वर्षीय किशोर ने अपनी जान दे दी. मूल रूप से इटावा का रहने वाला 16 वर्षीय लक्ष्य सेक्टर 36 में अपने दोस्तों के साथ रहता था. वह मंगलवार शाम को गोल्फ कोर्स स्टेशन पर मेट्रो के सामने कूद गया. बताया जा रहा है कि वह मानसिक रूप से परेशान था. छोटी सी उम्र में ही यह मानसिक परेशानी किशोर को आत्महत्या के कगार तक खींच ले गई. वह परिवार से दूर था और अपनी बात अपने दोस्तों और परिवार को नहीं बता सका और जो परेशानी उस पर हावी थी, वह अंदर ही अंदर घुटता रहा.
वहीं दूसरी ओर 45 वर्षीय सबा अब्बास सिद्धकी अपने परिवार के साथ नोएडा (Noida) सेक्टर 62 के रोज अपार्टमेंट में रहती थी. उनके पति केंद्रीय गृह मंत्रालय में अधिकारी हैं. सबा डिप्रेशन की शिकार थी और उनका इलाज फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था. उन्होंने 18 जनवरी को पांचवी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली.
अब इस मामले में उम्र मायने नहीं रखती क्योंकि 47 साल की उम्र हर तरीके के दबाव को झेलने के लिए एकदम उपयुक्त होती है. लेकिन कहीं ना कहीं यह अवसाद, मानसिक परेशानी लोगों के लिए इतना ज्यादा परेशानी का कारण बन जाता है कि वह अपनी जान देना ही आसान समझते हैं.
मानसिक तनाव जिंदगी पर इतना भारी पड़ जाता है कि किसी भी उम्र का व्यक्ति अपनी जान देने से परहेज नहीं करता. किशोर हो या युवा, लड़की हो या महिला या फिर बुजुर्ग. सभी के लिए परिवार का साथ बेहद जरूरी होता है लेकिन आजकल की न्यूक्लियर फैमिली में लोगों को अपनों का साथ कम मिल पाता है.
अगर उन्हें उनके क्षेत्र में कोई असफलता मिलती है तो वह उनके अवसाद का बड़ा-बड़ा कारण होती है. इसीलिए लगातार आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. बीते 1 हफ्ते की बात करें तो करीब गौतमबुद्ध नगर जिले में ही 10 लोगों ने अलग-अलग तरीकों से खुदकुशी की है. जिसमें छात्र नौकरी पेशा लोग और महिलाएं शामिल हैं.
-17 जनवरी को गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन के आगे कूदकर छात्र ने जान दे दी.
-18 जनवरी को सेक्टर 62 में रहने वाली महिला ने पांचवी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली.
-18 जनवरी को ही एक्सप्रेस वे स्थित सोसायटी में रहने वाले दुकानदार ने फंदा लगाकर जान दे दी.
-19 जनवरी को पैरामाउंट सोसायटी में रहने वाले आईटी इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली.
नोएडा (Noida) आईएमए के पूर्व अध्यक्ष और डॉक्टर एनके शर्मा ने बताया कि एकल परिवार और पाश्चात्य सभ्यता के चलते ही इस तरीके के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और खास तौर से युवा आत्महत्या के रास्ते को अपना रहे हैं. उनका कहना है कि आजकल के युवा और बच्चों को समय से पहले सारी चीजें चाहिए होती हैं. इसीलिए वह कई बार जब डिप्रेशन में या खराब स्थिति में आते हैं. तो उसका जिक्र अपने आसपास मौजूद लोगों से नहीं कर पाते. परिवार वालों से दूरी होती है और दोस्त समझ नहीं पाते.
इसीलिए ज्यादातर जो आत्महत्या कर रहे हैं उनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है. पढ़ाई से लेकर सोशल जिंदगी तक में कंपटीशन इतना बढ़ गया है कि एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ बच्चों को इस रास्ते पर ले जाने के लिए मजबूर करती है.
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उनके मुताबिक अब जितने भी आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं. उनमें एक चीज जरूर देखने को मिल रही है, वह है व्यक्ति का अकेलापन. आज जो भी तनावग्रस्त है या मानसिक रूप से परेशान है उसके आसपास उसकी देखभाल करने के लिए कोई भी मौजूद नहीं होता, ना उससे उसकी समस्या कोई जानता है और ना ही उसका कोई दिन और रात में हाल-चाल लेता है.
-भारत एक्सप्रेस