विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिक्स सम्मलेन के लिए दक्षिण अफ्रीका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के आखिरी दिन प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अब वह भारत नहीं है जो अपेक्षाकृत धीमी गति से घिसट-घिसट कर चलता था. जब डिजिटल की बात आती है तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत में जो चीजें मैं देख रहा हूं, वह मुझे यूरोप तथा उत्तर अमेरिका में भी नहीं दिखती. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जब हम मोदी सरकार के इन नौ वर्ष में होने वाले बदलाव की गति की बात करते हैं तो भारत में इस स्तर पर हो रहा बदलाव वाकई बहुत प्रभावशाली एवं बहुत बड़ा है, और विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय और विदेश में भारत के शुभचिंतकों को भी इस बात को समझने की जरूरत है. विदेश मंत्री ने ये बातें केपटाउन में स्थानीय और प्रवासी समुदाय द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में कही. इस दौरान उन्होंने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खास संबंधों को लेकर भी बात की.
विदेश मंत्री ने मोदी सरकार के नौ साल में हुईं उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि यह संरक्षणवादी प्रयास नहीं है. उन्होंने कहा, एक आत्म-निर्भर भारत ऐसा संरक्षणवादी भारत नहीं है, जो स्वयं को दुनिया के लिए बंद कर रहा है. यह ऐसा भारत है जो असल में भारत में और अधिक निर्माण कर रहा है, जो दुनिया के लिए अधिक निर्माण कर रहा है और जो दुनिया के साथ मिलकर निर्माण कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 86 अरब डॉलर था जो दुनिया में सबसे अधिक था.
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अगले 25 वर्ष के लिए भारत की दूरदृष्टि के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी को यह दिखाना महत्वपूर्ण है कि उनमें बहुत बड़े पैमाने पर बहुत बड़े काम करने की क्षमता है. उन्होंने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खास संबंधों के बारे में भी बात की जो नए राजनयिक रिश्ते के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे. रंगभेद के कारण दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध में करीब चार दशक का विराम आया था. जयशंकर ने कहा, जैसे ही हम आजाद हुए और दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद के खिलाफ उसके संघर्ष में सहयोग करते रहे तो नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी के प्रतीकों ने बहुत गहरी जड़ें जमा ली. उन्होंने कहा कि आज दोनों देशों के बीच करीब 18 अरब डॉलर का व्यापार होता है.
-भारत एक्सप्रेस
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