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खौफ का कारण बने कुत्ते,अब सोशल मीडिया पर हो रही है चर्चा, जानिए क्यों

Dogs became the cause of fear, now discussion is happening on social media, know why

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दिल्ली- हाल में कुत्तों के बढ़ते हमले से आम जनमानस में खौफ का माहौल बना हुआ है। गाजियाबाद और नोएडा में आए दिन कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। पार्क में बच्चे पर हमला,लिफ्ट में जोमैटो डिलीवरी बॉय पर हमला, कुछ माहीने पहले तो लखनऊ में एक पालतू कुत्ते ने अपनी मालकिन की ही जान ले ली थी। कुत्तों के साथ ही साथ लोग बिल्ली, घोड़ा, बंदर आदि भी पालते हैं। ऐसे में यह जान लेना बेहद जरूरी हो जाता है कि जानवरों को पालने के क्या नियम है?

देश के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग शहरों में जानवरों को पालने का अलग-अलग नियम तय किय गये है। हालांकि कुछ नियम हर जगह एक समान हैं। जैसे- प्रत्येक पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, इसके लिए नगर निगम द्वारा तय राशि का भुकतान करना होता है, रजिस्ट्रेशन एक तय समय के लिए वैध होता इसलिए समय-समय पर उसका रिन्यूअल कराना जरूरी होता है। नगरपालिका पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन तभी करता है, जब उसे रैबीज का वैक्सीन लगा होता है।अब दिल्ली नगर निगम ने भी ये तय कर दिया है कि कुत्ता पालने वाले को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा,ऐसा ना करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी

सोसायटी में कुत्ता पालने के नियम?

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया का कहना है कि अगर पशु को नगरपालिका द्वारा तय नियमों के मुताबिक पाला गया है तो उसे सोसायटी में रखा जा सकता है। हालांकि हाउसिंग सोसायटी के निवासी होने के नाते पालतू जानवर के मालिक को इस बात का  ध्यान रखना होगा कि उनका जानवर किसी और के लिए परेशानी का सबब न बन सके।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के मुताबिक हर नागरिक की ये जिम्मेदारी है वह जीवित पशुओं के प्रति दया का व्यवहार करें। Prevention of Cruelty to Animals Act 1960 की धारा 11 (3) में बताया गया है कि हाउसिंग सोसायटी में पालतू जानवरों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पारित करना अवैध है।

कुत्ते ने अगर काटा तो मालिक जेल जाएगा

अगर पालतू कुत्ता किसी को काट ले तो भारतीय दंड संहिता की धारा 289 के अनुसार कुत्ते के मालिक को अधिकतम 6 महीने जेल की सजा होगी, 1000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। बिल्ली, बंदर, घोड़ा की तरह ही कुत्तों के काटने से भी रेबीज का संक्रमण फैलता है। रेबीज का वायरस स्लो किलर होता है। अगर समय पर और उचित इलाज न मिले तो इससे जान भी जा सकती है।

-भारत एक्सप्रेस

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