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हम चीन के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन अगर समझौते का उल्लंघन होता है तो क्या किया जा सकता है : विदेश मंत्री

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चीन ने 2020 में गलवान घाटी में सेना के साथ हुई झड़प में समझौतों का उल्लंघन कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी.

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एस. जयशंकर, विदेश मंत्री (फाइल फोटो)

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चीन ने 2020 में गलवान घाटी में सेना के साथ हुई झड़प में समझौतों का उल्लंघन कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, इसलिए जब तक सीमाओं पर शांति नहीं होगी, तब तक द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति नहीं हो सकती है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर एनडीए सरकार के नौ साल पूरे होने पर उपलब्धियों को लेकर आयोजित किए गए कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. जहां उन्होंने संबोधन के दौरान ये बातें कही. विदेश मंत्री ने कहा कि जब पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बात आती है, तो सीमा पार आतंकवाद की चुनौतियां हैं, जिसे भारत ने कभी बर्दाश्त नहीं किया.

उन्होंने कहा कि भारत जबरदस्ती, प्रलोभन और झूठे आख्यानों के बहकावे में नहीं आता है. जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद को अवैध घोषित कर दिया है. साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध जारी रहेंगे, क्योंकि पीछे हटना (सीमाओं पर) एक विस्तृत प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा, हम चीन के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन अगर शांति समझौते का उल्लंघन होता है तो क्या किया जा सकता है. हालांकि बातचीत होती है. हमने गलवान घटना से ठीक पहले चीन से बात की थी, हमने उन्हें अपने सैनिकों की आवाजाही के बारे में बताया. मैंने गलवान के बाद उनसे सिर्फ एक दिन बात की. हमें पीछे हटने का रास्ता खोजना होगा, अन्यथा सीमा की स्थिति में सुधार नहीं होने पर संबंध (चीन के साथ) बिगड़े रहेंगे.’

जयशंकर ने गलवान में स्थिति को जटिल बताया. उन्होंने कहा, यह चीन द्वारा भूमि पर कब्जा करने के बारे में नहीं है (उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में कहा कि चीन ने गलवान के बाद महत्वपूर्ण भूमि पर कब्जा कर लिया है). दोनों पक्षों ने आगे की तैनाती की. चीन द्वारा भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के राहुल गांधी के बयानों पर सवालों का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस नेता बहुत कुछ कहते हैं.

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जयशंकर ने कहा, उन्होंने (राहुल) पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा बनाए जा रहे एक पुल का उल्लेख किया, लेकिन वह 1962 में चीन द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र पर था. चीन ने 1950 के दशक से भारत में क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है. हालांकि 2020 में हमें आगे की तैनाती करनी पड़ी, जिसके कारण तनाव है. उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों को प्वाइंट स्कोरिंग कवायद नहीं बनाया जाना चाहिए, बल्कि इस पर बहस होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, लोग इसे समझ रहे हैं कि यह अब हो गया है. हमारी अपनी सीमाओं की लंबे समय तक उपेक्षा की गई और जब भी सीमा के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के प्रयास किए गए, पर्यावरण के मुद्दे एक मुद्दा बन गए. जयशंकर ने बताया 2014 तक हमारा सीमा बुनियादी ढांचा बजट 4,000 करोड़ रुपये था, जो अब 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा गया है.

अन्य पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों के संदर्भ में, जयशंकर ने कहा कि अन्य देशों के साथ, नई दिल्ली के मजबूत संबंध हैं. विदेश मंत्री ने कहा, हालांकि, पाकिस्तान के साथ चुनौतियां हैं, खासकर जब वह सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है, जिसे हमने कभी बर्दाश्त नहीं किया.

इससे पहले एनडीए सरकार के नौ वर्षों के दौरान भारत की विदेश नीति का एक रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए जयशंकर ने कहा कि दुनिया के बड़े हिस्से अब भारत को एक विकास भागीदार के रूप में देखते हैं और वैश्विक दक्षिण भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव डाल रहा है, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता मिली है.

-भारत एक्सप्रेस



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