अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी
Adani vs Hindenburg: अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) की रिपोर्ट ने ऐसा तहलका मचाया था कि अडानी ग्रुप (Adani Group) को चंद दिनों में ही अरबों डॉलर गंवाने पड़ गए थे. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद देश में सियासत गरमा गई थी. इस पूरे मामले की जांच जेपीसी को सौंपे जाने को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच सदन में भी तकरार सामने आई थी. वहीं इस रिपोर्ट के पांच महीने बाद अडानी समूह ने एक बार फिर अपने कॉरपोरेट शासन और प्रकटीकरण मानकों पर भरोसा जताया है.
समूह की प्रमुख फर्म अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की वार्षिक रिपोर्ट में समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति को कोई नियामक विफलता नहीं मिली.
हिंडनबर्ग ने लगाया था धोखाधड़ी का आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अडानी पर शेयरों की कीमतों में हेराफेरी करने और खातों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. साथ ही शॉर्टसेलर ने फर्जी कंपनियों के जरिए धन के गुप्त लेनदेन का आरोप भी लगाया. अडानी समूह ने इन आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया है और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर एक सोचा-समझा हमला बताया.
वार्षिक रिपोर्ट में अडानी ने कहा कि अमेरिकी शॉर्टसेलर ने हमारे गणतंत्र दिवस के अवसर पर रिपोर्ट प्रकाशित की. उन्होंने कहा कि इन आरोपों का मकसद समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाकर और शेयर की कीमतों को जानबूझकर गिराकर मुनाफा कमाना था.
उन्होंने कहा कि न्यायालय की समिति में ऐसे व्यक्ति शामिल थे, जो अपनी स्वतंत्रता और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं. समिति को नियामक विफलता या किसी उल्लंघन का कोई उदाहरण नहीं मिला. उन्होंने आगे कहा, ”हालांकि, सेबी को आने वाले महीनों में अपनी रिपोर्ट (अडाणी समूह के खिलाफ एक अलग आरोप पर) जमा करनी है. हम अपने शासन और प्रकटीकरण मानकों के प्रति आश्वस्त हैं.”
अडानी समूह ने सोमवार देर शाम एक बयान में कहा कि उन्हें हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अमेरिकी निवेशकों को किसी समन की जानकारी नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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