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बरसात के मौसम में बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर से रहें दूर- यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने किया सचेत

मंत्री शर्मा ने कहा है कि बरसात के दौरान लोग बिजली के तारों एवं खम्भों को छूते हुए पेड़ों से भी दूरी बनाकर रहें.

UP Nikay Chunav

नगर विकास मंत्री एके शर्मा

उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा (Urban & Energy Minister A K Sharma) ने नागरिकों से अपील की है कि बरसात के दौरान बिजली के पोल, ट्रांसफार्मर व इसकी सुरक्षा के लिए लगी ग्रील, झूलते तारों और बिजली के बाक्सों से उचित दूरी बनाकर रहें. बिजली संयत्रों के आस-पास जलभराव होने पर वहां जाने से बचें तथा बेजुबान जानवरों को भी इनसे दूर रखने का प्रयास करें. उन्होंने कहा कि बरसात में इन पर विद्युत करंट उतरने का खतरा बना रहता है, जिससे अनजाने में जन-धन की हानि हो जाती है.

ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को भी निर्देश दिये हैं कि विद्युत उपकरणों में उतर रहे करंट की सूचना का तत्काल संज्ञान लिया जाए और करंट उतरने के कारणों की विधिवत जांच कर इसका समाधान भी किया जाए. उन्होंने कहा कि इसके स्थायी समाधान निकालने के भी प्रयास किये जाएं, जिससे कि लोगों को ऐसी दुर्घटनाओं से हो रहे नुकसान से बचाया जा सके. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि लोगों को इस सम्बन्ध में अधिक से अधिक जागरूक किया जाए.

मंत्री शर्मा ने कहा है कि बरसात के दौरान लोग बिजली के तारों एवं खम्भों को छूते हुए पेड़ों से भी दूरी बनाकर रहें, इस पर भी करंट उतरने की संभावना बनी रहती है जिससे की जनहानि की सम्भावना बनी रहती है.

यूं तो मौत कभी – कभी कम करंट के फ्लो होने से भी हो जाती है लेकिन 17 -99 mA का करंट फ्लो खतरनाक श्रेणी का माना जाता है. इस प्रकार के करंट की चपेट में आने से इंसान वहीं पर चिपककर खड़ा हो जाता है. करंट लगने से पीड़ित के शरीर के अंग और अंदरुनी कोशिकाएं धीरे-धीरे सिकुड़नी शुरू हो जाता है. उसके खून का प्रवाह रुकने लगता है और सांस अटकने लगती है. उसका दिमाग और शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं करता और कुछ ही मिनटों में वह धीरे-धीरे मौत के मुंह में समा जाता है.

तो वहीं 100-2000 mA का करंट फ्लो सर्वाधिक खतरनाक माना जाता है. अगर गलती से इंसान इस करंट की चपेट में आ जाए तो उसका सीधा अटैक हार्ट पर होता है और वह सिकुड़ने लगता है. जिससे शरीर के बाकी अंगों को खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होती है. इससे वे अंग भी सिकुड़ने लगते हैं. कुछ ही सेकंडों में पीड़ित का ब्रेन भी काम करना बंद कर देता है और हार्ट अटैक से उसकी मौत हो जाती है.

-भारत एक्सप्रेस



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