कांग्रेस नेता राहुल गांधी
Rahul Gandhi: मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेताओं की तरफ में लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. दीपेंद्र हुड्डा ने सर्वोच्च अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘सत्यमेव जयते’. वहीं शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि राहुल गांधी की सजा दुर्भावनापूर्ण थी. जबकि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि यह सच्चाई और न्याय की जीत है. वहीं कांग्रेस ने इसे ‘नफरत पर मोहब्बत की जीत’ जीत करार दिया है.
कुल मिलाकर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलना आने वाले दिनों में राजनीति का एक बहुत बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है. कांग्रेस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया जा रहा है. राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के बाद से लेकर अभी तक जिस अंदाज में सरकार पर हमले किए हैं और उनकी जो छवि कांग्रेस की तरफ से बनाई गई है उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी 2024 में भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा बनने जा रहे हैं. इस पूरे मामले को लगातार कांग्रेस की तरफ से ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताया गया. आधार यह था कि मामला गुजरात के पूर्णेश मोदी ने दर्ज कराया था जो बीजेपी के विधायक हैं और पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं.
सूरत कोर्ट ने सुनाई थी सजा
इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस मामले को गुजरात से जोड़कर कांग्रेस आने वाले दिनों में भी राजनीतिक गलियारों में रखेगी. नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी… सभी चोरों के सरनेम ‘मोदी’ क्यों होते हैं? यह ऐसी टिप्पणी थी जो राहुल गांधी को भारी पड़ी. अकेले पूर्णेश मोदी नहीं सुशील मोदी और कुछ अन्य लोगों ने जिनके सरनेम ‘मोदी’ थे, उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवाई थीं. लेकिन सूरत की सेशंस कोर्ट ने राहुल गांधी को न सिर्फ इस मामले में दोषी पाया बल्कि उन्हें मानहानि के मामले में मिलने वाली अधिकतम सजा (2 साल) दी.
अधिकतम सजा क्यों?
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अधिकतम सजा देने की वजह समझ में नहीं आई. दरअसल अधिकतम सजा ही वह बड़ा पेंच है जो बताता है कि इस मामले में सियासत की एंट्री कैसे हुई. राहुल गांधी को सजा मिली लेकिन आनन-फानन में अगले ही दिन उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई. क्योंकि कानूनी तौर पर 2 साल या उससे अधिक की सजा पाने वाला जनप्रतिनिधि अपने पद पर रहने की योग्यता खो देता है. अब इस 2 साल की सजा को क्या राहुल की सदस्यता रद्द किए जाने से जोड़कर देखा गया है? यह एक बड़ा प्रश्न है. यह बात कोर्ट के फैसले कि नहीं, यहां बात राजनीतिक गलियारों की करें तो स्पष्ट तौर पर राहुल गांधी के समर्थक और कांग्रेस की तरफ से इस बात को पूरी तरीके से कहा जा रहा है कि यह राहुल गांधी को घेरने का एक प्रयास था.
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कांग्रेस के हाथ लगा मुद्दा
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस को एक बड़ा मौका इस पूरे प्रकरण ने दे दिया है. जो मामला अभी तक राहुल गांधी के लिए परेशानी का सबब दिखाई दे रहा था, वह आगामी चुनाव में उनके लिए बड़ी ताकत भी बन सकता है. राहुल गांधी वायनाड से सांसद थे लेकिन अयोग्य घोषित किए जाने के बाद बाकायदा उन्होंने ट्विटर के अपने प्रोफाइल पर डिसक्वालिफाइड लिखा. लेकिन अब मानहानि केस में राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. उसके बाद उनकी संसद सदस्यता बहाल हो सकती है और कांग्रेस को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा भी मिल सकता है.
सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि आखिर राहुल को अधिकतम सजा क्यों दी गई? इस मामले में कम सजा भी दी जा सकती थी. यदि उन्हें कम सजा दी जाती तो उनकी संसद सदस्यता नहीं जाती. यहां सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी स्पष्ट तौर पर इस ओर इशारा करती है कि राहुल गांधी को अधिकतम सजा देने की वजह स्पष्ट नहीं है. यानि क्या उनकी संसद सदस्यता रद्द हो- यह भी सजा का मकसद था? खैर अब राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है और वह दोबारा न सिर्फ सांसद के तौर पर सामने आएंगे, बल्कि बहुत मुमकिन है कि विपक्षी एकजुटता के मंच इंडिया के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर भी अब उन्हें रखा जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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