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मोदी सरकार का स्वच्छता मिशन कितना कामयाब, 43 प्रतिशत लोगों ने माना कि पिछले 8 वर्षों में सार्वजनिक शौचालयों में हुआ सुधार

राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन पर ऑनलाइन सर्वे

नई दिल्ली- नरेंद्र मोदी जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे तो उन्हें स्वच्छता पर काफी ज़ोर दिया था.उनकी सरकार के स्वच्छता मिशन को पूरे देश में फैलाया गया.नजीजतन सफाई के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी.अब प्रधानमंत्री के प्रमुख मिशन स्वच्छ भारत अभियान ने अपने कार्यान्वयन के आठ साल पूरे कर लिए हैं. इसे लेकर ऑनलाइन कॉम्यूनिटी ने एक सर्वे कराया है जिसमें में केवल 43 प्रतिशत लोगों ने माना है कि सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता में सुधार हुआ है.

कचरा प्रबंधन पर ज़ोर

सर्वे में कहा गया है कि लगभग 63 प्रतिशत बच्चों में स्वच्छता और नागरिक भावना पर मिशन के सकारात्मक प्रभाव को देखते हैं. 53 प्रतिशत का मानना है कि नागरिक प्राधिकरण अब कचरा प्रबंधन के बारे में शिकायतों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं. सर्वे के अनुसार, 56 प्रतिशत ने महसूस किया कि स्वच्छ भारत मिशन से लोगों की नागरिक भावना में सुधार हुआ है.यह पूछे जाने पर कि पिछले 8 वर्षों में आपके क्षेत्र,जिले और शहर में सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता में क्या सुधार हुआ है? 41 प्रतिशत ने कहा कि कोई सुधार नहीं हुआ है. वहीं 43 फीसदी ने महसूस किया कि सुविधाओं में सुधार हुआ है. इनमें से 16 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने प्रगति को महत्वपूर्ण सुधार के रूप में वर्णित किया.

बेहतर हुए हैं हालात

वहीं 27 प्रतिशत ने कहा कि मामूली सुधार हुआ है. कुल मिलाकर, 52 प्रतिशत उत्तरदाता मिशन शुरू होने के 8 साल बाद भी अपने क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराने के सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नहीं थे.सर्वे में क्या आप मानते हैं कि स्वच्छ भारत पर सरकार के प्रयासों को देखते हुए पिछले 8 वर्षों में नागरिक भावना में सुधार हुआ है? इस पर 12,397 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें से 56 प्रतिशत नागरिकों ने महसूस किया कि कुछ सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कुल 42 फीसदी लोगों का मानना है कि नागरिकों के बीच ‘थोड़ा सुधार’ हुआ है, जबकि 14 फीसदी का मानना है कि चीजें ‘काफी बेहतर’ हुई हैं.

अभी बहुत सुधार की ज़रूरत

बाकी जवाब देने वालों में से, 12 प्रतिशत को लगता है कि चीजें पहले से भी खराब हो गई है, 29 फीसदी का मानना है कि चीजें अभी भी वैसी ही हैं और 3 फीसदी ने अपना मत देने से इंकार कर दिया.मिशन के शुरूआती दौर में तेज गति देखी गई, जो समय के साथ धूमिल होती चली गई. स्वच्छ भारत में सार्वजनिक जुड़ाव अब शून्य के करीब है, शीर्ष 15-20 स्वच्छ शहरों को छोड़कर, जहां नागरिक और नगर पालिकाएं स्वच्छ शहर के लिए काम कर रही हैं.एक नए सिरे से नागरिक भावना जागरूकता अभियान नियमित रूप से स्थानीय स्तर पर सही प्रोत्साहन के साथ आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि नागरिक और निकाय एक स्वच्छ शहर की दिशा में मिलकर काम करें.

आईएएनएस/भारत एक्सप्रेस

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