Bharat Express

UP Politics: “दलित और मुस्लिम को सौंप दें बिहार की कुर्सी”, आचार्य प्रमोद कृष्‍णम ने नीतीश पर साधा निशाना

Lucknow: प्रमोद कृष्‍णम ने नीतीश के प्रधानमंत्री होने पर हमला बोला है और कहा है कि, 20 फीसदी दलित और 18 फीसद मुस्लिम आबादी के होते हुए तीन प्रतिशत वाली जाति का सीएम होना तो बेइमानी है.

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्‍णम (फोटो-सोशल मीडिया)

UP Politics: बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश में इसको लेकर सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दल जहां यूपी में जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्‍णम ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है और एक नई मांग रखते हुए कहा, “नीतीश कुमार को अब सीएम की कुर्सी किसी दलित और मुसलमान नेता को सौंप देनी चाहिए.” उन्होंने अपने बयान में नीतीश के प्रधानमंत्री होने पर हमला बोला है और कहा है कि 20 फीसदी दलित और 18 फीसद मुस्लिम आबादी के होते हुए तीन प्रतिशत वाली जाति का सीएम होना तो बेइमानी है.

प्रमोद कृष्‍णम ने यहां तक कह दिया है कि कांग्रेस जिसकी ‘जितनी हिस्‍सेदारी उसकी उतनी भागीदारी’ नीति में विश्‍वास रखती है. चूंकि बिहार सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों में सबसे ज्‍यादा आबादी दलितों और मुसलमानों की है. इसलिए प्रधानमंत्री को अपनी कुर्सी किसी दलित या मुसलमान नेता को सौंप देनी चाहिए. मालूम हो कि दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं. इसी के बाद से उत्तर प्रदेश में इस पर जमकर राजनीति हो रही है और विपक्षी दलों के साथ ही एनडीए घटक दल भी प्रदेश में जातीय जनगणना कराने की मांग करने लगे हैं.

ये भी पढ़ें- IAS Abhishek Singh Resigned: निलंबित IAS अभिषेक सिंह ने दिया इस्तीफा, राजनीति में Entry की चर्चा तेज

बिहार बना पहला राज्य

बता दें कि जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों को प्रस्तुत करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है. क्योंकि 1931 के बाद से पूरे देश में कहीं जाति जनगणना नहीं हुई. जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. इनमें पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 फीसदी यानी कुल आबादी का करीब दो तिहाई है तो वहीं अति पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत हैं जबकि पिछड़े वर्ग की आबादी 27.13 फीसदी है. आंकड़ों के मुताबिक यहां पर एससी की जनसंख्या 19.65 प्रतिशत है तो वहीं पिछड़ों में सबसे ज्यादा संख्या यादवों की सामने आई है. आंकडों की मानें तो यहां पर सवर्णो की संख्या करीब 15.52 फीसदी हैं जिसमें 5 प्रतिशत मुस्लिम सवर्ण भी शामिल हैं. बता दें कि बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल 2 जून को जाति गणना कराने की मंजूरी दी थी. इसी के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी. हालांकि पटना हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद बिहार सरकार को जाति गणना के काम को रोकना पड़ गया था, लेकिन बाद में 1 अगस्त को अदालत ने जाति आधारित गणना करने के फैसले को सही बताया था.

भाजपा सरकार पर बढ़ा दबाव

बिहार में जाति जनगणना जारी होने के बाद से भाजपा सरकार पर इसको लेकर दबाव बढ़ गया है. आरजेडी-जेडीयू ने इसे बड़ा सामाजिक कदम बताया है और इसी के साथ पूरे देश में जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है. इस मांग का समर्थन कांग्रेस ने भी किया है और पिछले कुछ दिनों से इंडिया गठबंधन भी भाजपा की केंद्र सरकार पर जाति आधारित जनगणना कराने का दबाव बना रहा है. हालांकि भाजपा अभी इस मामले में चुप्पी साधे बैठी है. राजनीतिक जानकारों का मानें तो बिहार में आंकड़े जारी होने के बाद अब जनसंख्या के मुताबिक आरक्षण देने को लेकर भी कवायद भी शुरू हो सकती है.

-भारत एक्सप्रेस

 

Also Read