Bharat Express

Chhath Puja 2023: इन खास संयोग में छठ पूजा की शुरुआत, जानें नहाय खाय से लेकर सूर्य देव को अर्घ्य देने की तिथि

Chhath Puja 2023: छठ का पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़ा है, लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता सीमाओं के पार विदेश तक जा पहुंची है.

Chhath Puja 2023: हिंदू धर्म में छठ पूजा का त्योहार एक महापर्व की तरह मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़ा है, लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता सीमाओं के पार विदेश तक जा पहुंची है. हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है. संतान की लंबी उम्र, बेहतर सेहत और उज्जवल भविष्य की कामना लिए महिलाएं छठ का व्रत रखती हैं.

छठ पूजा के दौरान रखे जाने वाले व्रत की अवधि के कारण इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. नियमों के अनुसार, करीब 36 घंटों तक इस व्रत को रखा  जाता है, जिसमें चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखा जाता है. कार्तिक मास की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तिथि तक चलने वाले इस व्रत में मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है. वहीं अंतिम दिन सूर्योदय होते ही सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद इसका समापन होता है. आइए जानते हैं नहाय खाय से शुरु होकर चार दिनों चलने वाले इस त्योहार की तिथि के बारे में.

इस दिन से छठ पूजा

साल 2023 में 17 नवंबर को छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. इस दिन अत्यंत शुभ माने जाने वाला अमृतयोग और रवियोग भी बन रहा है. ‘नहाय खाय’ भी इसी दिन है. वहीं अगले दिन 18 नवंबर को ‘खरना’ है. 19 नवंबर को ‘डूबते सूर्य को अर्ध्य’ और आखिरी दिन 20 नवंबर को ‘उगते सूर्य को अर्ध्य’ दिया जाएगा. छठ के व्रत का पारण 20 नवंबर को किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें: Astrology Tips: विवाह में देरी होने पर आजमाएं ये उपाय, रिश्ता खुद चलकर आएगा आपके पास 

छठी मैय्या की होती है पूजा

नदी किनारे या पानी वाली जगह पर छठ माता का स्थान बनाकर छठ की पूजा की जाती है. नहाय खाय में व्रत रहने वाला पूरे परिवार के साथ चावल, चने की दाल, कद्दू की सब्जी, मूली और कुछ दूसरे पदार्थों का सेवन करता है. वहीं इसके अगले दिन गुड़ और खीर का प्रसाद बना कर भोग लगता है. इसे मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है और चूल्हे में आम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है. छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है.

Also Read