महुआ मोइत्रा.
Cash For query Case: महुआ मोइत्रा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती हुई दिख रही हैं. सांसदी जाने के बाद अब 30 दिनों के अंदर उन्हें अपना सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भेजा गया है. बता दें कि कैश फॉर क्वेरी मामले में आरोप सिद्ध होने के बाद टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की सांसदी को लोकसभा ने रद्द कर दिया था. इस मामले में महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफारिश और उनके खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को गलत बताया है. वहीं अब सांसदी जाने के बाद उन्हें बतौर सांसद मिले अपने सरकारी बंगले को भी खाली करना पड़ेगा. बंगला खाली करने के लिए उन्हें 30 दिनों का समय दिया गया है.
रिश्वत लेने का आरोप
महुआ मोइत्रा को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शिकायत की थी. मोइत्रा पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि बिजनेस मैन दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर उपहार के बदले महुआ ने अडानी समूह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए लोकसभा में सवाल पूछा था.
एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर हुई थी कार्रवाई
महुआ के खिलाफ कैश फॉर क्वेरी के इस मामले में संसद की एथिक्स कमिटी ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा के पटल पर पेश की थी. एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसदीय आचरण के उल्लंघन का दोषी माना था. इस दौरान प्रस्ताव में उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई और प्रस्ताव पारित होने पर उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. उनपर आरोप था कि उन्होंने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर लोकसभा में सवाल पूछे थे. इसके अलावा उन्होंने हीरानंदानी को संसद की लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी दिया था.
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस रिपोर्ट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया. विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इस मामले में एथिक्स कमिटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मूलभूत सिद्धांतों का दमन करती है.
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