दिशाशूल के नियम
Journey Tips: शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो यात्रा न करता हो. काम से लेकर घूमने-फिरने के लिए लोग यात्रा करते रहते हैं. कुछ यात्राएं अपने उद्देश्य को पूरा करती हैं तो कुछ निर्रथक भी साबित होती हैं. वहीं कुछ तो ऐसी होती हैं कि जिंदगी भर याद रह जाती हैं. चाहे उनकी वजह यात्रा के दौरान मिलने वाला तकलीफ ही क्यों न हो.
प्राचीनकाल से ही ज्योतिषशास्त्र में यात्रा को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं. इन नियमों का पालन ऋषि, मुनि से लेकर राजा तक किया करते थे. इन नियमों में दिशा से जुड़े नियम खास हैं. जिन्हें दिशाशूल कहा जाता है. आइए जानते हैं क्या हैं ये नियम.
इस दिन इन दिशाओं में न जाएं
दिशाशूल का मतलब उस दिशा से जुड़ी दिक्कतें और आने वाली बाधाओं से होता है. ऐसे में सभी दिनों में यात्रा की अलग-अलग तिथियां बताई गई हैं. इनमें अगर आप शनिवार और सोमवार को पूर्व दिशा की यात्रा करने जा रहे हैं तो दिशाशूल माना जाता है. वहीं ज्योतिष के अनुसार रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए तो मंगलवार और बुधवार का दिन उत्तर दिशा की यात्रा के लिए ठीक नहीं होता. ऐसा करने से दिशाशूल के कारण दिक्कतें आने लगती हैं. इसी तरह गुरूवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा करने की मनाही है.
कब किस दिशा की यात्रा करनी चाहिए
अगर आपको दक्षिण दिशा में अपनी यात्रा करनी है तो ज्योतिष में इसके लिए सोमवार के दिन को सही माना जाता है. वहीं पूर्व और दक्षिण दिशाओं के लिए मंगलवार का दिन भी शुभ होता है तो बुधवार के दिन पूर्व और पश्चिम दिशा की यात्रा की जा सकती है. माना जाता है कि गुरूवार को आप दक्षिण दिशा को छोड़कर किसी भी दिशा की यात्रा कर सकते हैं. इन सभी दिनों में यात्रा किसी भी समय पर की जा सकती है, लेकिन शुक्रवार को संध्याकाल में आरंभ की गई यात्रा के परिणाम अत्यंत शुभ हैं. शनिवार के दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन अगर आप कहीं किसी प्रायोजन से जा रहे हैं तो वह काम पूर्ण नहीं होगा. इस दिन केवल घर जाने के उद्देश्य से की गई यात्रा के ही सफल होने की संभावना रहती है. वहीं रविवार के दिन पूर्व दिशा में की गयी यात्रा सफल रहती है.
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.