सुप्रीम कोर्ट.
Electoral Bond: चुनावी बॉन्ड स्कीम की कानूनी वैधता से जुड़े मामले में आज (15 फरवरी) सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर 2023 को तीन दिनों की सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच कर रही है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए चुनाव आयोग को आदेश दिए थे कि योजना के तहत बेचे गए चुनावी बॉन्ड का 30 सितंबर 2023 तक का डेटा जमा करें.
सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था
मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सिंह की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ कर रही है. पीठ ने 31 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच पक्ष और विपक्ष की दलीलों को सुना था. तीन दिन तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके साथ ही चुनाव आयोग को बेचे गए बॉन्ड का डेटा जमा करने के आदेश दिए थे.
बॉन्ड स्कीम की कानूनी वैधता पर सवाल
इलेक्टोरल बॉन्ड यानी कि चुनावी चंदे पर कांग्रेस नेता जयराम ठाकुर, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स समेत चार लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चुनावी बॉन्ड के जरिए गुपचुप तरीके से लिए गए चंदे की पारदर्शिता को प्रभावित किया जाता है. इससे सूचना के अधिकार का उल्लंघन भी होता है. याचिकाकर्ताओं का ये भी कहना है कि इसमें शेल कंपनियों की ओर से भी दान देने की अनुमति दी गई है. सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं.
कौन खरीद सकता है चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड योजना पार्टियों को दान देने वाले भारतीय स्टेट बैंक से खरीदकर किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से पैसे भेज सकते हैं. इस बॉन्ड को कोी भी भारतीय नागरिक या फिर कंपनी और संस्थान खरीद सकता है. इसके लिए एसबीआई की निर्धारित ब्रांच से खरीदा जा सकता है. जब भी बॉन्ड की घोषणा की जाती है तो उसे कोई भी 1 हजार रुपये से लेकर एक करोड़ तक का बॉन्ड खरीद सकता है. बैंक से खरीदने के बाद उस बॉन्ड को वह व्यक्ति या फिर कंपनी किसी भी पार्टी को उसका नाम डालकर उसे दे सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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