किसान आंदोलन 2024.
Delhi: जमात-ए-इस्लामी हिंद दिल्ली के सीमावर्ती राज्यों के पास किसानों के विरोध प्रदर्शन पर कार्रवाई की निंदा करते हुए सरकार से शांति पूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा का आह्वान करती है।
मीडिया को जारी एक बयान में जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा: “सरकार को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 200 किसान संघों की चिंताओं को दूर करना चाहिए और शांतिपूर्ण विरोध करने के उनके अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। हरियाणा में किसानों पर ड्रोन के जरिए आंसू गैस, कंटीले तारों का इस्तेमाल और पुलिस बैरिकेड्स बेहद निंदनीय है और शांतिपूर्ण सभा करने के अधिकार का उल्लंघन है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सरकार का यह अड़ियल रवैया किसान समुदाय को और भी अलग-थलग कर देगा और इस धारणा को बल मिलेगा कि सरकार को किसानों के कल्याण की परवाह नहीं है और वह उनकी शिकायतों पर बातचीत या चर्चा करने को तैयार नहीं है।”
सरकार को किसानों के नेताओं से बात करनी चाहिए
जमात के उपाध्यक्ष ने कहा, “सरकार ने डॉ. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया, लेकिन 17 साल बाद भी, एमएसपी पर डॉ. स्वामीनाथन की राष्ट्रीय किसान आयोग रिपोर्ट की सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया गया है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी मांग रहे हैं। अगर सरकार इस मांग से सहमत नहीं है, तो भी उसे किसानों की असहमति की आवाज को दबाने के लिए दमनकारी उपायों का सहारा लेने का कोई अधिकार नहीं है। इससे स्थिति और खराब होगी और हमारा लोकतंत्र कमजोर होगा. जमाअत-ए-इस्लामी हिंद महसूस है कि सरकार को किसानों के नेताओं से बात करनी चाहिए और उनकी मांगों को सुनना चाहिए।खेती पर कोई भी नई नीति बनाने से पहले किसानों को विश्वास में लेना चाहिए। प्रदर्शनकारियों को उन लोगों से भी सतर्क रहने की जरूरत है जो इन विरोध प्रदर्शनों को हिंसक बनाने की साजिश रच सकते हैं।’
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