दिल्ली हाई कोर्ट
हाईकोर्ट ने राजधानी में हो रहे अवैध निर्माण पर चिंता व्यक्त की है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध निर्माण को कोई देखने वाला नहीं है. कोर्ट ने इसे देखते हुए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कहा कि वह इस तरह के मुद्दे से निपटने के लिए संरचनात्मक सुधार करे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि आज के समय में एमसीडी किसी इमारत को सील करने के लिए टेप और स्ट्रिंग का उपयोग कर रही है, लेकिन सीलिंग और तोड़ने की कार्रवाई का कोई ठोस प्रभाव नहीं हो रहा है.
सीबीआई करेगी मामले की जांच
पीठ ने कहा कि कार्यपालिका यथास्थिति से संतुष्ट लगती है और डिजिटल मानिचत्र जैसी आसान तकनीकों के जरिए सिस्टम में सुधार करने को तैयार नहीं है, जिससे बड़े पैमाने पर किए गए अतिक्रमण और अवैध निर्माण का आसानी से पता लगाया जा सकता है. हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी केंद्रीय संरक्षित निज़ामुद्दीन दरगाह और बावली के पास एक गेस्ट हाउस के अनाधिकृत निर्माण को लेकर दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज की गई एक एफआईआर की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करते हुए की.
अधिकारियों की तय हो जिम्मेदारी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि नियंत्रण और संतुलन की विस्तृत व्यवस्था के बावजूद दिल्ली में इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहा है, जो अभूतपूर्व और अनसुना है. वह भी दिल्ली के बीचोंबीच. कोर्ट ने कहा कि इसको लेकर प्रशासनिक जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और गेस्ट हाउस के अवैध निर्माण में पक्षों की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए. पीठ ने इसके साथ ही एमसीडी आयुक्त और डीडीए के उपाध्यक्ष से कहा कि अवैध निर्माण को लेकर जांच कर इसके जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए. उसने यह भी कहा कि पुलिस ने पहले से ही एक प्राथमिकी दर्ज कर रखी है, इसलिए यह अदालत इसकी जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने का निर्देश देती है. वह तथ्यों की जांच करे और अगर कोई आपराधिक मामला बनता है तो उसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाए.
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जनहित याचिका पर हाई कोर्ट मे सुनाया फैसला
कोर्ट ने यह निर्देश जामिया अरबिया निज़ामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी की जनिहत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. उसमें डीडीए, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और अन्य प्राधिकरणों के अनाधिकृत निर्माण को रोकने में विफलता के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी. विचाराधीन गेस्ट हाउस का निर्माण केंद्रीय संरक्षित स्मारक बाराखंभा मकबरा और निज़ामुद्दीन बावली के 50 मीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र में किया जा रहा था. याचिका में गेस्ट हाउस को तोड़ने की भी मांग की गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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