why kalachi village kazakhstan called sleeping village
दुनिया कई तरह के रहस्यों से भरी पड़ी है. ऐसी कई चीजें हैं, जिनका जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया है. ऐसे ही एक रहस्य के बारे में आपको बताएंगे जहां लोग दिनभर सोते रहते हैं या फिर बैठे-बैठे, बात करते-करते, चलते-चलते भी सो जाते हैं, तब आप क्या कहेंगे? जी हां सही दरअसल, कजाकिस्तान के एक अनोखे गांव में. यहां के लोग कई-कई दिनों तक सोते रहते हैं. इस गांव में व्यक्ति पूरे दिन सोता रहता है और तो और एक दिन में भी उसकी नींद पूरी नहीं होती. महीने भर भी अगर आप यहां के लोगों ना उठाए तो उन्हें उस चीज से भी दिक्क्त नहीं है. जानना चाहते हैं? तो चलिए आपको इस अनोखे गांव के बारे में बताते हैं.
गांव का ये है नाम
कजाकिस्तान में मौजूद एक ऐसा गांव है, जहां लोग कई-कई महीनों तक सोते रहते हैं. कजाकिस्तान के इस गांव का नाम कलाची गांव है. इस गांव में हर व्यक्ति कम से कम एक महीने के लिए सो जाता है. इस गांव को ‘स्लीपी हॉलो’ भी कहते हैं. इस अनोखे गांव के कुछ लोगों का हाल ऐसा है कि अगर वो सो जाए तो आप कितनी भी कोशिश कर लें, वो नहीं जाग सकते. यहां तक कि उनके पास बम भी फोड़ दें या तेज साउंड का डीजे भी बजा दें, तब भी नींद नहीं टूटेगी.
रिसर्च में सामने आया था ये कारण
वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, इस समस्या का मुख्य कारण गांव का दूषित पानी. है वैज्ञानिक ने तरह-तरह के टेस्टी भी किए और उसके बाद उन्हें मालूम हुआ कि गांव के पानी में कार्बन मोनो-ऑक्साइड है, जो गांव के पानी में कार्वन मोनो-ऑक्साइड के पास में बनी यूरेनियम खदान से आया है. यही वजह है कि कलाची के लोग कई-कई महीनों तक सोते रहते हैं. कलाची के लोग लंबी और गहरी नींद को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते, बल्कि वे अपने इतने सोने से परेशान भी हैं, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति सड़क के बीच में सोता रहता गया तो वो वही महीनों तक सोता रहता है.
जागने के बाद लोगों को होता है ये एहसास
कजाकिस्तान के कलाची गांव के कुछ लोगों के मुताबिक, नींद से जागने के बाद उन्हें मालूम नहीं रहता कि वो कैसे और कितने से सो रहे हैं. कलाची गांव के लोगों का कहना है कि लंबी और गहरी नींद में सोने पर उनका दिमाग सुन्न सा हो जाता है और वो सपनों की दुनिया में खो जाते हैं.
पहली बार इस दिन पता चली थी समस्या
कलाची गांव में हर दिन से ही लोग इतने लंबे समय के लिए नहीं सोते थे. असल में, 2010 में एक स्कूल के कई बच्चे क्लासरूम में ही सो गए थे. और वे स्टूडेंट्स लगातार कई दिनों तक सोते रहे. स्कूल मैनेजमेंट और टीचर्स ने उन्हें जगाने की कोशिश की, लेकिन उनमें से एक भी स्टूडेंट नहीं उठा. धीरे-धीरे गांव के 14 प्रतिशत लोगों को इस समस्या का अहसास हुआ.
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