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Siyasi Kissa: जब राजा भैया के लिए भाजपा ने मुलायम सिंह की मदद कर मायावती को किया था सत्ता से आउट… जानें क्या थी वो बड़ी वजह

तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के आदेश पर 2 नवंबर 2002 को प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को गिरफ्तार किया गया था. इस कार्रवाई के बाद से ही भाजपा और बसपा के बीच दरार पड़ गई थी.

Siyasi Kissa

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Siyasi Kissa: भाजपा के सहयोग से साल 2002 में मायावती ने अपनी सरकार बनाई थी और वह उत्तर प्रदेश की तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी थीं. हालांकि कुछ दिनों के बाद ही कुछ ऐसा घटनाक्रम आया कि मायावती को अपना पद छोड़ना पड़ा और फिर मुलायम सिंह की सरकार बनी.

इस सरकार को बनाने में भी भाजपा का ही हाथ रहा, लेकिन इन सबके केंद्र में प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी रहे. हालांकि सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही भाजपा कुछ असहज महसूस करने लगी.

उस समय यूपी भाजपा अध्यक्ष रहे कलराज मिश्र इस्तीफा देकर मायावती मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बन गए थे और भाजपा नेता लालजी टंडन, ओमप्रकाश सिंह और हुकुम सिंह को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. फिर यूपी में भाजपा का अध्यक्ष विनय कटियार को बनाया गया था और उन्होंने बसपा को लेकर कहा था, ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है’.

इसी बीच एक बड़ी घटना हुई. राजा भैया सहित करीब 20 विधायकों ने तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री से मायावती सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर दी. दरअसल उस वक्त यूपी का आधा हिस्सा उत्तराखंड के रूप में अलग राज्य बन चुका था और यहां केवल 403 विधान सभा सीटें शेष रह गई थीं.

14वीं विधानसभा के लिए जब चुनाव हुआ तो 143 सीटें जीतकर सपा प्रदेश की सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी, लेकिन सरकार मायावती की बनी. दरअसल इस चुनाव में त्रिशंकु नतीजे आने के कारण 8 मार्च से 3 मई 2002 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू रहा. फिर भाजपा के सहयोग से 3 मई 2002 को तीसरी बार मायावती सीएम बनीं.

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राजा भैया की गिरफ्तारी के बाद बिगड़ी बात

भाजपा विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत के बाद मायावती के आदेश पर 2 नवंबर 2002 को प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को गिरफ्तार कर लिया गया था. ये गिरफ्तारी चर्चा में रही, क्योंकि उनको तड़के 4 बजे के करीब ही गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था.

उस वक्त उनको आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. साथ ही उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके ऊपर अपहरण और धमकी देने के आरोप लगा था. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इसी कार्रवाई के बाद से ही भाजपा और बसपा के बीच दरार पड़ गई थी.

विनय कटियार ने पोटा हटाने को कहा

उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार ने मायावती सरकार से राजा भैया पर से पोटा हटाने की मांग की तो मायावती ने साफ मना कर दिया था. इस राजनीतिक खींचतान के बीच ताज कॉरिडोर के निर्माण के मामले में यूपी सरकार और केंद्र सरकार के बीच भी अनबन हो गई.

उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री की जिम्मेदारी जगमोहन संभाल रहे थे. इस घटना के बाद तमाम सियासी उठापटक हुई और फिर मायावती ने 26 अगस्त 2003 को कैबिनेट की बैठक बुलाई और विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री से करते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया.

मायावती की इस मांग ने किया था आग में घी का काम

कहते हैं कि मायावती के इस्तीफा सौंपने से पहले एक बड़े घटनाक्रम ने बसपा और भाजपा में बड़ी दरार पैदा कर दी थी. दरअसल मायावती ने पत्रकार वार्ता कर जगमोहन के इस्तीफे की मांग कर दी थी. इसी वजह से मायावती और भाजपा के बीच रिश्ते और बिगड़ गए थे.

फिर जब मायावती ने देखा कि स्थिति और गड़बड़ हो रही है तो उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस पूरे घटनाक्रम के बीच लालजी टंडन राजभवन पहुंचे और बसपा से समर्थन वापसी का पत्र गवर्नर को सौंप दिया. हालांकि राज्यपाल ने विधानसभा भंग नहीं की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पत्र मिलने से पहले समर्थन वापसी की चिट्ठी मिल गई थी.

इस तरह बनीं मुलायम की सरकार

इस बीच सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उसी दिन सरकार बनाने का अपना दावा पेश कर दिया. इसके लिए भाजपा ने उनकी मदद की और फिर का बसपा के 13 विधायकों ने समर्थन देने की घोषणा की तो मुलायम ने राज्यपाल को अपना दावा सौंप दिया.

इसके साथ ही मुलायम ने तिकड़म भिड़ाकर 16 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त कर लिया था. कांग्रेस के 25 विधायकों के अलावा रालोद के अजीत सिंह ने भी अपने 14 विधायकों के साथ मुलायम का समर्थन कर दिया था.

इस तरह से मुलायम सिंह ने 29 अगस्त 2003 को तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, लेकिन इससे पहले मायावती ने मुलायम के मुख्यमंत्री बनने की राह में रोड़ा अटकाने के लिए उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास गई थीं और दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की, लेकिन उनका ये दांव काम न आया, क्योंकि भाजपा से संबध रखने वाले विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी ने इस पूरे मामले को टाल दिया था.

सीएम बनते ही राजा भैया के ऊपर से हटा दिया था पोटा

मुख्यमंत्री बनने के आधे घंटे के अंदर ही मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया पर लगे पोटा के तहत सभी मुकदमे हटाने का आदेश दे दिया था. यही नहीं राजा भैया को मुलायम सरकार में खाद्य मंत्री का पद भी दिया गया.

-भारत एक्सप्रेस



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