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Siyasi Kissa: मॉडल और पत्रकार रह चुकीं मेनका गांधी का इस तरह शुरू हुआ था राजनीतिक करिअर, पहली बार दिखी थीं इस विज्ञापन में

भाजपा सांसद मेनका गांधी कभी कॉलेज में होने वाले ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं. महज 17 साल की उम्र में उन्होंने पहला विज्ञापन किया था. एक शादी पार्टी में उनकी संजय गांधी से मुलाकात हुई थी.

मेनका गांधी (दूसरी तस्वीर उनकी मॉडलिंग के दिनों की है).

Siyasi Kissa: गांधी परिवार की बड़ी बहू मेनका गांधी (Maneka Gandhi) को भला कौन नहीं जानता. आज उनकी राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में अलग पहचान है. वह लगातार जनता के साथ ही पशुओं के अधिकार के लिए भी आवाज उठाती रहती हैं.

गांधी परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद भी वह कांग्रेस पार्टी में नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सांसद हैं. इस लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर से बीजेपी ने उन्हें उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर सीट से टिकट दिया है, लेकिन क्या आपको पता है कि राजनीति में आने से पहले वह एक मॉडल हुआ करती थीं और पत्रकारिता के क्षेत्र से भी जुड़ी थीं.

उनकी सुंदरता के कांग्रेस नेता संजय गांधी भी इतने कायल हो गए थे कि एक विज्ञापन में उनकी तस्वीर देखने के बाद ही उनसे मिलने की ठान ली थी. तो आइए जानते हैं कैसे हुई थी संजय गांधी और मेनका की मुलाकात और किस तरह मॉडलिंग छोड़कर राजनीति की दुनिया में उन्होंने रखा कदम था.

पहली बार दिखी थीं इस विज्ञापन में

बता दें कि मेनका गांधी का जन्म 26 अगस्त 1956 को दिल्ली के एक जाने-माने सिख परिवार में हुआ था. मेनका की पढ़ाई दिल्ली के लॉरेंस स्कूल से हुई और लेडी श्रीराम कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया था.

उनके पिता तरलोचन सिंह आनंद इंडियन आर्मी में अधिकारी थे. मेनका कॉलेज के दिनों में ही मॉडलिंग से जुड़ गई थीं और इसी क्षेत्र में करिअर बनाना चाहती थीं. तब उनकी उम्र महज 17 साल थी, जब उन्होंने पहली बार कपड़े की कंपनी बॉम्बे डाइंग का विज्ञापन किया था.

इस विज्ञापन से वह एक चर्चित चेहरा बन गई थीं. मेनका कॉलेज में होने वाले ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं और कई सौंदर्य प्रतियोगिताएं भी जीती थीं.

Maneka Gandhi..

मेनका गांधी से यूं हुई थी संजय की मुलाकात

कहा जाता है कि इसी तरह के एक विज्ञापन में मेनका को संजय गांधी ने देखा था और तभी से वह मेनका की सुंदरता के फैन हो गए थे. उनसे मिलने की प्लानिंग कर रहे थे. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तब 14 दिसंबर 1973 को एक पार्टी के दौरान संजय पहली बार मेनका गांधी से मिले थे. ये एक शादी की पार्टी थी. मेनका के अंकल मेजर जनरल कपूर ने अपने बेटे वीनू की शादी के लिए एक पार्टी का आयोजन किया था. इसी पार्टी में वीनू ने अपने दोस्त संजय को बुलाया था. संजय और वीनू स्कूल फ्रेंड थे.

इंदिरा समझ गई थीं संजय के दिल का हाल

इस मुलाकात के बाद संजय ने मेनका को सफदरजंग रोड पर स्थित पर अपने घर पर खाने के लिए बुलाया था. ये साल 1974 था. उस समय इंदिरा गांधी देश की सत्ता संभाल रही थीं. कहा जाता है कि मेनका जब उनके घर पहुंचीं तो वह इंदिरा गांधी से काफी डरी हुई थीं. इस स्थिति को इंदिरा ने भांप लिया था और फिर उन्होंने खुद ही बात की शुरुआत करते हुए मेनका से उनकी पढ़ाई और करिअर के बारे में पूछा था. हालांकि इस दौरान इंदिरा ये भी समझ गई थीं कि संजय, मेनका को पसंद करते हैं. उनको इस रिश्ते से कोई शिकायत भी नहीं थी.

इंदिरा ने ये खास खादी की साड़ी की थी गिफ्ट

29 जुलाई 1974 को मेनका और संजय गांधी की प्रधानमंत्री आवास पर ही सगाई हो गई थी. सगाई के बाद संजय गांधी का एक ऑपरेशन हुआ था और फिर कुछ हफ्तों बाद 23 सितंबर 1974 को उनकी शादी हो गई थी. शादी में इंदिरा गांधी ने मेनका को खादी की एक साड़ी गिफ्ट की थी. इस साड़ी को पिता जवाहरलाल नेहरू ने जेल में रहते हुए बुनी थी.

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वरुण के जन्म के तीन महीने बाद ही संजय का हो गया था निधन

शादी के बाद दोनों ही हंसी खुशी अपना जीवन बिता रहे थे. 13 मार्च 1980 को मेनका ने बेटे वरुण गांधी को जन्म दिया. हालांकि वरुण के जन्म के लगभग तीन माह बाद ही संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन हो गया था.


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कांग्रेस से अलग होकर बनाया राष्ट्रीय संजय मंच

संजय गांधी के निधन के बाद मेनका गांधी के रिश्ते सोनिया गांधी से बहुत अच्छे नहीं रहे. जानकार कहते हैं कि तब मेनका ने कांग्रेस से अलग राह चुनने की ठानी और राष्ट्रीय संजय मंच बनाया. इसके बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन उनको हार का मुंह देखना पड़ा.

भाजपा के साथ सफर

राजनीतिक जानकारों की मानें तो 1988 में मेनका गांधी जनता दल में शामिल हो गईं और 1989 के लोकसभा चुनाव में पीलीभीत से चुनाव लड़कर सांसद बनीं. इसके बाद 1996 में फिर से चुनाव लड़कर उन्होंने पीलीभीत से जीत दर्ज की थी. इसके बाद वो लगातार जीतती गईं.

1998 में निर्दलीय चुनाव भी लड़ा और जीत दर्ज की. बता दें कि 1996 से अभी तक वह लगातार 7 बार सांसद रह चुकी हैं. फिर उनका सफर 2004 में भाजपा के साथ शुरू हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको सुल्तानपुर से भाजपा ने टिकट दिया. तो यहां से भी उन्होंने जीत हासिल की.

-भारत एक्सप्रेस

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