दशावतार मंदिर
Dashavatara Temple: उत्तर प्रदेश में ललितपुर जिले के देवगढ़ नामक स्थान पर एक विष्णु मंदिर है, माना जाता है कि यह सबसे प्राचीन विष्णु मंदिरों में से एक है. इसे गुप्त शासनकाल में बनवाया गया था. मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतार रूप से जुड़ी कहानियों को भी बताया गया है. यहां महाभारत कालीन कहानियां काफी रोचक ढंग से दीवार पर चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत की गई हैं.
माना जाता है कि यह मंदिर बहुत ही खास है. यहां पर हाथी, नर, नारायण, राम, लक्ष्मण, सीता बनवास, शूर्पणखा और महाभारत के घटनाक्रम को बताती कई मूर्तियां बनी हुई है. मंदिर में भगवान विष्णु की एक मूर्ती नर नारायण तपस्या के आकार में है तो एक दूसरी मूर्ती भी है, जिसमें वह एक नाग पर लेटे हुए हैं.
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रामायण और महाभारत कालीन कहानियों का है जिक्र
मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, नरसिंह और वामन के रूप के अलावा भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की प्रतिमाएं रखी हुई हैं. यह मंदिर आपने निर्माण के कुछ सौ सालों के बाद जमीन के अंदर चला गया था. ब्रिटिश शासन काल में इस मंदिर को जमीन के नीचे से निकाला गया.
मंदिर के आसपास रामायण और महाभारत कालीन दूसरे कई चरित्रों को भी दीवारों पर बड़ी ही कलात्मकता और खूबसूरती से पत्थरों पर उकेरा गया है. मंदिर में मां लक्ष्मी, शिव परिवार, गंगा यमुना और कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी है.
ऐसी दुर्लभ प्रतिमाएं एक अत्यंत अलौकिक सुख प्रदान करती हैं. गुप्तकालीन होने के कारण इस मंदिर का नाम गुप्त मंदिर भी है. इस मंदिर की शैली अत्यंत ही कलात्मक है. संसार भर में भगवान विष्णु के दशावतार रूप कुछ ही जगहों पर हैं.
पूरी होती है मनोकामना
शिव भगवान विष्णु के दशावतार रुप को सबसे प्रमुख माना जाता है. इनकी पूजा करने से कई तरह के लाभ होते हैं ऐसे मंदिर भारतवर्ष में भी बहुत ही कम है. मंदिर की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है. मंदिर परिसर में एक अद्भुत तरह की शांति है.
मंदिर के साथ कई तरह के रहस्य भी जुड़े हुए हैं. माना जाता है की रात के वक्त यहां पर एक अजीब तरह का सन्नाटा रहता है. हिंदू धर्म के अलावा यहां पर जैन धर्म के मंदिर भी हैं. इस मंदिर को देखने दूर दूर से लोग आते हैं. भगवान विष्णु के दशावतार रूप को पूजने वाले यहां पर अपनी मनोकामनाएं भगवान से कहते हैं. त्यौहार के समय भारी संख्या में लोग यहां दर्शनों के लिए आते हैं.
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