दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए और एमसीडी से कहा कि वे राजधानी में जमीन का सर्वेक्षण करने के लिए एजेंसी को अंतिम रूप दे और इस कार्य को पूरा करने की समयसीमा बताएं. उसने यह निर्देश राजधानी की अनधिकृत निर्माण से संबंधित एक याचिका पर दिया. इन अनधिकृत निर्माणों में केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के पास के क्षेत्र में निर्माण भी शामिल हैं. कोर्ट 2 जुलाई को इस मामले में अगला सुनवाई करेगा.
एमसीडी के वकील ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर एमसीडी आयुक्त और डीडीए उपाध्यक्ष के बीच एक बैठक हुई थी और यह निर्णय लिया गया था कि दिल्ली में उनकी संबंधित भूमि का सव्रेक्षण किया जाए जिससे उनकी स्थिति का पता लगाया जा सके. साथ ही किसी भी बदलाव का पता लगाने के लिए हर छह महीने में उसका दोबारा दौरा किया जाएगा. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि एमसीडी और डीडीए दोनों को उस एजेंसी को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया जाता है. जिससे दिल्ली का सव्रेक्षण कराया जाना है और एक समय सीमा प्रदान करे कि यह कब पूरा होगा.
अदालत ने सुझाव दिया
सुनवाई के दौरान पीठ ने सुझाव दिया कि अधिकारियों की ओर से वन क्षेत्रों सहित पूरे शहर का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए. एमसीडी के वकील ने बताया कि प्रत्येक एजेंसी अपनी जमीन के लिए जिम्मेदार है और इस कवायद को अन्य भूमि मालिक एजेंसियों द्वारा भी दोहराया जा सकता है. हम पूरे क्षेत्र का नक्शा बनाने जा रहे हैं जो एमसीडी, डीडीए के दायरे में आता है. हम उस पर नज़र रखेंगे और हर छह महीने में इसका दोबारा निरीक्षण करेंगे जिससे निर्माण में कोई भी बदलाव हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में उपग्रह तस्वीर, डिजिटल मानचित्र और ड्रोन सव्रेक्षण जैसी नयी तकनीक पर गौर किया गया और एमसीडी और डीडीए भूमि का सव्रेक्षण भारतीय सव्रेक्षण विभाग द्वारा करने का प्रस्ताव दिया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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