दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाइकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को यूनाइटेड किंगडम में हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय से कानून स्नातक की डिग्री को भारत में स्नातक पाठ्यक्रम के बराबर मानने का निर्देश देने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने कहा कि अदालत बीसीआई को समकक्षता का ऐसा कोई प्रमाण पत्र प्रदान करने का निर्देश नहीं दे सकती है.
अदालत ने कहा
अदालत ने कहा समतुल्यता अकादमिक निकायों के लिए तय करने का मामला है और अदालतें अध्ययन के पाठ्यक्रमों या उन संस्थानों को, जहां से ऐसे पाठ्यक्रम लिए जाते हैं, दूसरों के समकक्ष घोषित नहीं कर सकती हैं. हालांकि अदालत ने बीसीआई को तीन सप्ताह के भीतर कानून स्नातक के प्रतिनिधित्व पर तर्कसंगत और स्पष्ट निर्णय लेने का निर्देश दिया. अदालत ने वासु सचदेवा द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें बीसीआई को उनकी डिग्री को भारत में तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम के बराबर करने और उन्हें सीसीएस विश्वविद्यालय या एनएलयू में तीन साल के एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
विदेशी आधार पर एक वकील के रूप में नामांकन मांगा
सचदेवा ने सितंबर 2018 में यूके में हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए गए एलएलबी (ऑनर्स) बैचलर ऑफ लॉ डिग्री कोर्स में प्रवेश लिया. कोर्स पूरा करने के बाद वह भारत लौट आए और अपने विदेशी आधार पर एक वकील के रूप में नामांकन मांगा. बीसीआई ने उन्हें सूचित किया कि भारत में एक वकील के रूप में अभ्यास करने के लिए योग्य होने के लिए, सचदेवा को गोवा में स्थित इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा संचालित दो साल का ब्रिज कोर्स करना होगा. हालांकि, सचदेवा दो साल के कोर्स का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं थे.
अदालत ने कहा वह इस मामले में बस इतना कर सकती है कि बीसीआई को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर तर्कसंगत और स्पष्ट निर्णय लेने का निर्देश दे और निर्णय लेते ही याचिकाकर्ता को सूचित कर दे.
-भारत एक्सप्रेस
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