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Parliament Attack 2001: आतंकियों के निशाने पर थे सभी सांसद, संसद हमले के दोषी अफजल गुरु ने किए थे कई सनसनीखेज खुलासे

Parliament Attack 2001: अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी, दोनों ही संसद से निकल चुके थे जबकि तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत अपने काफिले के साथ अभी निकलने ही वाले थे.

Afzal-guru

अफजल गुरु

Parliament Attack 2001: संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले की आज 21वीं बरसी है. आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर को इक्कीस साल पहले 2001 में आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला किया था. उस दिन सुबह के तकरीबन 11 बज रहे थे. संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था. तब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे और नेता विपक्ष थीं सोनिया गांधी. दोनों ही संसद से निकल चुके थे. वहीं तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत अपने काफिले के साथ अभी निकलने ही वाले थे तभी गोलियों की आवाज से आसपास के इलाके में भगदड़ मच गई.

उस समय लोगों ने इन आवाजों को सुनकर अंदाजा लगाया कि शायद बंदरों को भगाने के लिए पटाखे जलाए गए हैं. फिर लगा कि शायद पास में ही स्थित रकाबगंज गुरुद्वारे (Gurudwara Shri Rakab Ganj Sahib) में फायरिंग हुई है. लेकिन स्थिति के साफ होते ही अंदाजा लगाने का सिलसिला खत्म हो गया और चारों तरफ एक भय का माहौल बनने लगा.

भारतीय संसद पर 5 हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा संसद के अंदर घुस कर हमला (Parliament Attack 2001) कर दिया गया था. उनके पास AK-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार थे, जिससे वे अंधाधुंध फायरिंग किए जा रहे थे. गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी उस वक्त संसद भवन में मौजूद थे, लेकिन उन्हें भी उस समय पता नहीं चल पाया कि आखिर माजरा क्या है?

पत्रकारों और नेताओं को पहुंचाया गया सुरक्षित जगह

हमले को सबसे पहले दिल्ली पुलिस के जवानों ने रोकने की कोशिश की जो संसद की सुरक्षा में तैनात थे. इसी दौरान संसद में तैनात पैरामिलिट्री फोर्स (CRPF) की टुकड़ी को वॉकी टॉकी द्वारा सूचना दी गई. वहीं कुछ पत्रकारों और नेताओं को संसद के गेट नंबर 1 के अंदर पहुंचा कर बंद कर दिया गया.

हमले में मारे गए थे इतने लोग

लगभग चार घंटों तक चली इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के 5 जवान और सीआरपीएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी शहीद हुई थीं. जबकि, राज्यसभा सचिवालय के 2 कर्मचारी और एक माली ने भी जान गंवाई थी. संसद पर हमले की कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन, अफसान और प्रोफेसर सैय्यद अब्दुल रहमान गिलानी को दोषी करार दिया गया था. अफजल गुरु को फरवरी 2013 में फांसी दे दी गई थी.

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अफजल गुरु ने किए थे कई खुलासे

अफजल गुरु ने संसद पर हमले (Parliament Attack 2001) के अपने जुर्म को खुद स्वीकार किया था. एक इंटरव्यू के दौरान अफजल गुरू ने कहा था कि उसे पाकिस्तानी सेना के एक रिटायर्ड फौजी ने ट्रेनिंग दी थी. इसके अलावा वह पैसे के लालच में भी आ गया था, क्योंकि उसकी आर्थिक हालत खराब हो चुकी थी और उसे मोटिवेट भी किया गया था. अफजल गुरु ने इस बात की जानकारी दी थी कि संसद भवन में घुसे आतंकियों की योजना वहां मौजूद सांसदों की हत्या करना था, जिसमें वह यहां से उनकी मदद कर रहा था तो पाकिस्तान से गाजी बाबा ऑपरेट कर रहा था.

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