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इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया से स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया तक का सफर

1 जुलाई 1955 को, देश के प्रमुख वाणिज्यिक बैंक के रूप में, इंपीरियल बैंक को भारतीय स्टेट बैंक बनाने के लिए राष्ट्रीयकरण किया गया था.

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भारत में बैंकिग सेक्टर की शुरुआत काफी पुरानी मानी जाती है. औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने 2 जून 1806 को, अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बैंक ऑफ कलकत्ता को सबसे पहले व्यवसाय के लिए खोला गया. यह बैंक विशेष तौर पर अंग्रेजों के लिए कार्य करता था. एक अर्से बाद इसमें बदलाव किए गए और बैंक को एक चार्टर दिया गया, जिसके बाद इसका नाम बदलकर बैंक ऑफ बंगाल कर दिया गया. वहीं कई सालों बाद 15 अप्रैल 1840 को बैंक ऑफ बॉम्बे और 1 जुलाई 1843 को बैंक ऑफ मद्रास की स्थापना की गयी.

तीन बैंकों को मिलाकर बना इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया

वहीं 27 जनवरी 1921 को तीनों बैंकों को मिलाकर एक अखिल भारतीय बैंक, इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया. समय के साथ भारत में बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई फैसले लिए गए. इसी क्रम में 1 जुलाई 1955 को, देश के प्रमुख वाणिज्यिक बैंक के रूप में, इंपीरियल बैंक को भारतीय स्टेट बैंक बनाने के लिए राष्ट्रीयकरण किया गया था. इसके चार साल बाद 1959 में भारतीय स्टेट बैंक (सहायक बैंक) अधिनियम के पारित होने के साथ, राज्य से जुड़े आठ पूर्व बैंक इसकी सहायक कंपनियां बन गए.

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2017 में एसबीआई का विस्तार

साल 2017 में एसबीआई का एक बार फिर विस्तार हुआ और स्‍टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्‍टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्‍टेट बैंक ऑफ त्रवाणकोर (SBT), स्‍टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH) और स्‍टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH) और का विलय कर दिया गया. इन सभी बैंको का एसबीआई में यह विलय 1 अप्रैल 2017 को हुआ. 1 जुलाई 1955 को इम्पीरियल बैंक (Imperial Bank) का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) किए जाने के बाद से ही हर साल स्‍टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH) और पहली जुलाई को अपना स्थापना दिवस मनाता है.



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