(प्रतीकात्मक तस्वीर)
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार (Gujarat Govt) द्वारा 108 हेक्टेयर भूमि की वसूली के खिलाफ अडानी पोर्ट्स और एसईजेड लिमिटेड (Adani Ports and SEZ Ltd) की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पोर्ट्स से 108 हेक्टेयर भूमि की वसूली के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी.
यह भूमि कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास स्थित है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से जवाब मांगा है.
क्या है मामला
यह मामला 2005 का है, जब अडानी पोर्ट्स को 108 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी. 2010 में जब अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड ने भूमि पर बाड़ लगाना शुरू किया, तो वहां के नवीनल गांव के निवासियों ने जनहित याचिका के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अडानी पोर्ट्स को 231 हेक्टेयर चरागाह भूमि के आवंटन को चुनौती दी.
याचिका में उन्होंने तर्क दिया था कि गांव में चरागाह भूमि की कमी है और इस आवंटन से उनके पास केवल 45 एकड़ भूमि बचेगी. वर्ष 2014 में राज्य सरकार द्वारा यह कहे जाने के बाद कि 387 हेक्टेयर सरकारी भूमि को चरागाह के लिए देने का आदेश पारित किया गया है, न्यायालय ने मामले का निपटारा कर दिया था.
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अवमानना याचिका भी दायर
जब ऐसा नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दायर की गई. 2015 में राज्य सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की और अदालत को बताया कि ग्राम पंचायत को आवंटित करने के लिए केवल 17 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है. राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वह शेष भूमि लगभग 7 किलोमीटर दूर आवंटित कर सकती है. ग्रामीणों ने इसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि मवेशियों के चरने के लिए यह बहुत दूर है.
भूमि वापस लेने का फैसला
इस साल अप्रैल में न्यायालय ने एक वरिष्ठ राजस्व अधिकारी से इस मामले का समाधान निकालने को कहा. अधिकारी ने जवाब दिया कि राज्य सरकार ने लगभग 108 हेक्टेयर – 266 एकड़ – भूमि वापस लेने का फैसला किया है, जिसे 2005 में अडानी पोर्ट्स को आवंटित किया गया था. राजस्व विभाग ने कहा कि राज्य अडानी पावर से वापस ली गई भूमि में सरकारी भूमि जोड़कर ग्रामीणों को ‘पुनःपूर्ति’ करेगा. इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इसे लागू करने को कहा था.
-भारत एक्सप्रेस
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