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Supreme Court का अहम फैसला- CRPC की इस धारा के तहत मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति से मांग सकती हैं गुजारा भत्ता

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला दिया है. अब्दुल समद नाम के एक शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: सोशल मीडिया)

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. ये धारा सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. मुस्लिम महिलाएं भी इस प्रावधान का सहारा ले सकती है.

शीर्ष अदालत ने कहा है कि मुस्लिम महिला अपने पति के खिलाफ धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला दिया है.

पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि अगर किसी मुस्लिम महिला को धारा 125 सीआरपीसी के तहत आवेदन के दौरान तलाक दे दिया जाता है तो वह मुस्लिम महिला अधिनियम 2019 के तहत गुहार लगा सकती है, जो अतिरिक्त उपाय प्रदान करता है.

क्या है मामला

बता दें कि अब्दुल समद नाम के एक शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. शख्स ने अपनी याचिका में कहा था कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर करने की हकदार नहीं है. महिला को मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 अधिनियम के प्रावधानों के तहत ही चलना होगा.


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फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती

ज्ञात हो कि फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया था कि पति 20,000 रुपये प्रति माह अंतरिम गुजारा भत्ता दे. मुस्लिम शख्स ने इस आदेश को तेलंगाना हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि पक्षकारों ने 2017 में मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार तलाक ले लिया था. इस तलाक के सर्टिफिकेट भी हैं, लेकिन फैमिली कोर्ट ने उस पर विचार नहीं किया. हालांकि हाईकोर्ट ने भुगतान की जाने वाली राशि को 20,000 हजार से घटाकर 10,000 हजार प्रति माह कर दिया था.

शाह बानो केस

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था. ये मुद्दा 1985 में सुप्रीम कोर्ट में शाह बानो बेगम मामले से जुड़ा है. तब सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने उस समय अपने फैसले में कहा था कि सीआरपीसी की धारा 125 धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है, ये मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होता है.

-भारत एक्सप्रेस

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