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दशहरी और चौसा के बीच अमेरिका के दामी एटकिन्स व श्रीलंका का मैगीफेरा आम…चौंक गए न आप! यूपी के इस बाग में 352 किस्में

मैंगो मैन के बाग में एक ओर आम तैयार होता है तो दूसरी ओर बौर भी निकल आती है और फिर ये आम पूरे बाग की शोभा बढ़ाते हैं.

mango

फोटो-सोशल मीडिया

Mango Season: आम का सीजन चल रहा है. जो लोग आम खाने के शौकीन हैं वो इस मौसम में जी भर के आम का सेवन करते हैं. तो वहीं देश के कई हिस्सों में आमों की प्रदर्शनी भी लगी हुई है जिसमें कई तरह के आम देखने को मिल रहे हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है जिसमें 7 एकड़ में फैले बगीचे में आम की एक-दो नहीं बल्कि 352 किस्मों में खेती की जा रही है. यह बाग इतना खास है कि इसे देखने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से लेकर कई दिग्गज जा चुके हैं.

इस बाग की खास बात ये है कि यहां पर दशहरी व चौसा के बीच ही अमेरिका के टामी एटकिन्स, पैरी, ओस्टीन आम, आस्ट्रेलिया का कालिग्टन प्राइड आम के साथ ही श्रीलंका का मैगीफेरा आम भी देखने को मिल रहा है. ये तो सभी जानते हैं कि दशहरी आम के लिए उत्तर प्रदेश का मलिहाबाद प्रसिद्ध है, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी आमों की तमाम किस्में एक बाग में देखने को मिल रही हैं. तो वहीं इस बाग की स्थापना करने वाले एसएन शुक्ला को मैंगो मैन के नाम से जाना जाता है.

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बाग में आम कि 27 प्रजातियां

उनके बाग में कुछ ऐसे भी पेड़ हैं जिसमें साल भर फल होते हैं तो वहीं बारहमासी आम की 27 प्रजातियां इस बगीचे में हैं. मैंगो मैन के बाग में एक ओर आम तैयार होता है तो दूसरी ओर बौर भी निकल आती है और फिर ये आम पूरे बाग की शोभा बढ़ाते हैं. बता दें कि एसएन शुक्ला को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

एक आम आधा किलो का

ये बाग लखनऊ में अवध चौराहे से हरदोई बाईपास पर बुद्धेश्वर से पहले हाईवे के किनारे ही स्थित है जिसका नाम मैंगोफेस्ट बाग है. बगीचे में सिंदूरी रंग के आम पूरे बाग की शोभा बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं. यहां पर आधा किलो तक आम पेड़ो पर लटकते हुए दिखाई देते हैं. सबसे खास बात तो ये है कि पेड़ एक लेकिन आमों की किस्में इस पर अनेक दिखाई देती है.ऐसा इसलिए क्योंकि पेड़ के तने में कई किस्मों की ग्राफ्टिंग (कलम बांधना) की गई है. इसी वजह से एक पेड़ में कई तरह के आम देखने को मिल रहे हैं.

मल्टी फार्मिंग की ट्रेनिंग

आम की कई किस्मों का उत्पादन करने वाले एसएन शुक्ला का एक दशहरी का बगीचा भी है जो कि नरौना स्थित गांव में है और वह किसानों को भी इसके लिए जागरुक करते हैं. वह आम के बागीचे को मल्टी फार्मिंग बनाने के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं. उनके आम के बगीचे में एक कतार में जहां आम के पेड़ दिखाई देते हैं तो दूसरी ओर हल्दी और अदरक भी उगता है. इसी के साथ ही इलायची, कपूर, नारियल और दालचीनी के भी पेड़ लगे हैं. तो वहीं एसएन शुक्ला के बगीचे में पैरी के साथ ही अंगूरदाना, नूरी, केंट, तोतापरी, गुलाब खास, सेंशेसन, अंबिका, प्रतिभा, अरुनिका, केसर, अल्फांजे, वैगन पतली, लालिमा, सूर्या, सीपिया, मल्लिका, लंबोदर, आम्रपाली सहित देश से लेकर विदेश की 352 प्रजाति देखने को मिलती है. बता दें कि वह फल उत्पादकों के लिए जागरुकता अभियान भी चला रहे हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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