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Jagannath Mandir: ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित खजाना ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद आज खुलने जा रहा है. वजह सामने आई है कि राज्य सरकार आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाने के लिए इसे खोल रही है. तो वहीं इसको लेकर लगातार चर्चा हो रही है. बता दें कि इससे पहले इसे साल 1978 में खोला गया था. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, उच्च स्तरीय समिति के चेयरमैन बिश्वनाथ रथ ने बताया है कि रत्न भंडार शुभ समय में दोपहर एक बजे से डेढ़ बजे के बीच खोला जाएगा.
दो भागों में बंटा है रत्न भंडार
बता दें कि जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार भीतरी और बाहरी भंडार में बंटा हुआ है. बाहरी भंडार में भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले जेवरात को रखा जाता है तो वहीं जो जेवरात इस्तेमाल में नहीं लाए जाते हैं उनको भीतरी भंडार में सहेज कर रखा जाता है. जहां रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला हुआ है, तो वहीं भीतरी भंडार की चाबी पिछले छह साल से कहीं गुम हो गई है. वहीं पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष खोलने की प्रक्रिया रविवार से शुरू होगी. श्रीमंदिर ने एक कमेटी गठित की है. पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए मंदिर परिचालन कमेटी के सदस्यों के साथ रिजर्व बैंक और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. रत्न भंडार की सभी चीजों का डिजिटल डॉक्यूमेंट बनाया जाएगा.
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रत्न भंडार में रखे हैं तीन देवताओं के बेशकीमती गहने
यह ऐतिहासिक भंडार जगन्नाथ मंदिर के जगमोहन के उत्तरी किनारे पर है. पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 के तहत तैयार किए गए अधिकारों के रिकॉर्ड में भगवान जगन्नाथ के आभूषणों की एक सूची शामिल है. इस मंदिर में एक रत्न भंडार है. चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था. माना जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं. तो इसी के साथ ही तमाम राजाओं और भक्तों ने भगवान को हीरे-जेवरात आदि चढ़ाए थे. उसे भी इसी रत्न भंडार में रखा जाता है. फिलहाल तो अभी तक इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमतों का मूल्यांकन नहीं किया गया है. फिलहाल इनकी कीमत बेशकीमती बतई जाती है.
ये है मान्यता
मान्यता है कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है. ये भी कहा जाता है कि आंतरिक रत्न भंडार से अक्सर फुफकारने की आवाजें आती हैं. इस को देखते हुए रत्न भंडार को खोले जाने से पहले मंदिर समिति ने भुवनेश्वर से सांप पकड़ने में निपुण दो व्यक्तियों को भी पुरी बुलाया है, ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. इसके अलावा डॉक्टरों की एक टीम भी बुलाई गई है.
जानें कब-कब खुल चुका है ये?
मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख अरविंद पाढी ने मीडिया को जानकारी दी कि इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी. रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था लेकिन तब इसे मरम्मत के लिए खोला गया था और फिर इसे बंद कर दिया गया था. इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और उसकी चाबी भी लापता है.
जानें कितना है भंडार में खजाना?
मंदिर में कितना खजाना है, इसको लेकर श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में एक हलफनामा दिया गया है. इसके मुताबिक,रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं. 25 गुणा 40 वर्ग फुट के आंतरिक कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है. इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ. बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है. इन्हें त्योहार पर निकाला जाता है. तो वहीं वर्तमान कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है. दैनिक अनुष्ठान के लिए इन्हीं का उपयोग किया जाता है.
2018 में इसलिए हुआ था हो-हल्ला
चार अप्रैल 2018 को उस वक्त भंडार की चाबी खोने की बात पता चली, जब सरकार ने मंदिर की संरचना की भौतिक जांच की कोशिश की. इसके बाद जमकर हो-हल्ला हुआ. नवीन पटनायक ने तत्काल इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए और नवंबर 2018 में आयोग ने 324 पेज की रिपोर्ट सौंपी. तो वहीं रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद ही पुरी के तत्कालीन जिलाअधिकारी को आश्चर्य तरीके से एक लिफाफा मिला, जिस पर लिखा था, आंतरिक रत्न भंडार की नकली चाबियां. इस घटना के बाद तो ये विवाद और भी बढ़ गया था. फिल इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया.
अब है ये बड़ा सवाल
चाबियों के गुम होने के कारण अब ये बड़ा सवाल है कि ताला खोला कैसे जाएगा. इसको लेकर ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि इस संबंध में उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार समिति का गठन किया गया है. इस साल मार्च में पूर्ववर्ती बीजू जनता दल सरकार ने रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की सूची की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था. भाजपा सरकार ने न्यायमूर्ति पसायत के नेतृत्व वाली समिति को भंग कर दिया है और नई समिति गठित कर दी है. बता दें कि ओडिशा सरकार ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को दोबारा खोलने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक नई उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है ताकि उसमें रखी कीमती वस्तुओं की सूची तैयार की जा सके.
-भारत एक्सप्रेस
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