लंग कैंसर के लक्षण
हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे (World Lung Cancer Day) मनाया जाता है. फेफड़ों का कैंसर सबसे आम कैंसर है, जो मस्तिष्क तक फैल सकता है और दूसरे कैंसर का कारक बन सकता है. द लैंसेट रीजनल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर के हर साल 72,510 नए मामले सामने आते हैं, जो सभी कैंसर मामलों का 5.8 प्रतिशत है. यह तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है.
क्या कहते हैं कैंसर के आंकड़े
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल के अनुसार, गैर-मेलेनोमा त्वचा कैंसर (NMSC) को शामिल करने के बाद साल 2022 में 1,99,76,499 कैंसर के मामले थे. जब NMSC को इससे बाहर रखा गया, तो 2022 में दुनिया भर में यह संख्या 1,87,41,966 थी. इनमें से 95,66,825 पुरुषों में और 91,75,141 महिलाओं में थे.
श्वासनली, ब्रॉन्कस और फेफड़े के कैंसर के 2022 तक 24,80,675 नए मामले सामने आए थे. इनमें से 1,572,045 पुरुषों और 9,08,630 मामले महिलाओं से संबंधित थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कैंसर से होने वाली पांच मौतों में से लगभग एक मौत लंग कैंसर के चलते ही होती है.
जांच के द्वारा कैसे कर सकते हैं पता
इस पहल का प्रमुख उद्देश्य लक्षणों और स्क्रीनिंग विकल्पों पर प्रकाश डालना भी है. लक्षणों में बलगम में बदलाव, छाती या पीठ में दर्द, खांसी या खांसी आते समय बलगम के साथ खून आना और निगलने में कठिनाई शामिल हैं.
फेफड़ों के कैंसर के निदान के लिए जिन परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है उनमें छाती का एक्स-रे, सीटी और पीईटी स्कैन, ब्रोंकोस्कोपी और सुई बायोप्सी शामिल हैं. यदि आप वर्तमान या पूर्व धूम्रपान करने वाले हैं और 55 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो आप कम खुराक वाली सीटी स्कैन स्क्रीनिंग के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं जो फेफड़ों के कैंसर का प्रारंभिक चरण में संभावित रूप से पता लगा सकता है.
विशेषज्ञ ने क्या कहा
अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के अध्यक्ष डॉ. जेरार्ड सिल्वेस्ट्री ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में फेफड़ों के कैंसर के उपचार के विकल्प काफी उन्नत हुए हैं और जीवित रहने की दर भी बढ़ रही है. हमें उम्मीद है कि विश्व फेफड़े के कैंसर दिवस के प्रयासों से जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सर्वोत्तम संभव परिणामों के लिए शीघ्र पता लगाने में मदद मिलेगी.’
डॉक्टरों का लक्ष्य
डॉक्टरों का प्राथमिक लक्ष्य मरीजों के दर्द और परेशानियों को कम करना, उनकी जिंदगी की उम्मीद को बढ़ाना और लंबा करना, उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए व्यक्तिगत उपचार और सहायक देखभाल देना होता है.
जब फेफड़ों का कैंसर मस्तिष्क में फैल जाता है, तो इसका इलाज विकिरण और सिस्टमिक कीमोथेरेपी जैसे उपचारों के माध्यम से किया जा सकता है. ये इलाज फेफड़ों में मौजूद मुख्य कैंसर और मस्तिष्क में फैले कैंसर दोनों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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