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गाजीपुर नाले में महिला और उसके बेटे की मौत मामले में दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में सौंपी जांच रिपोर्ट

पुलिस द्वारा पेश रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट ने डीडीए से स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि पीड़ित परिवार को कितना मुआवजा दिया जाएगा.

delhi high court

दिल्ली हाईकोर्ट

गाजीपुर नाले में महिला और उसके तीन साल के बेटे की मौत के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट को सौंप दी है. गाजीपुर इलाके में नाले में गिरने मां-बेटे की मौत मामले में नाले के निर्माण के जिम्मेदार ठेकेदार, सुपरवाईजर के अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के दो इंजीनियर पर गाज गिर गई. पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि फिलहाल जांच में इन चारों की आपराधिक लापरवाही सामने आई है.

पुलिस द्वारा पेश रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट ने डीडीए से स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि पीड़ित परिवार को कितना मुआवजा दिया जाएगा.

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष क्षेत्रीय पुलिस उपायुक्त अपूर्वा गुप्ता ने रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि मौके का निरीक्षण करने पर पाया गया कि नाले का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था. दोनों साइड सड़क तक ऊंची दीवारें खड़ी कर आरसीसी स्लैब से उसे स्थायी रूप से ढक दिया गया था. हालांकि कुछ स्थानाें पर नाले को खुला छोड़ दिया गया था. इन हिस्सों पर ऐसे स्लैब रखे जाने थे, जिन्हें जरूरत पड़ने पर हटाया जा सके. वारदात वाला इलाका भी उन्हीं जगहों में से एक था, जहां अंबेडकर गेट के पास लगभग 5 फीट की जगह को खुला छोड़ दिया गया था.

उन्होंने कहा डीडीए से संबंधित टेंडर से जुड़े दस्तावेज डीडीए से जब्त किए हैं. उनसे मालूम चला कि डीडीए के संबंधित ठेकेदार को काम के दौरान सभी सुरक्षा उपाय करने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, न तो ठेकेदार ने सुरक्षा उपाय कए न ही डीडीए के अधिकारियों ने वहां का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा मामले में ठेकेदार जसविंदर पाल सिंह व उसके सुपरवाइजर, तहेदुल रहमान उर्फ ताहिर को गिरफ्तार किया गया है. दोनों ने अपराधिक लारवाही बरती है.

क्षेत्रीय पुलिस उपायुक्त ने आगे कहा कि डीडीए के अधिकारी अपने ठेकेदार से हुई इस चूक को पकड़ने में चूक गए. जहां तक डीडीए की ओर से आपराधिक लापरवाही का सवाल है, तो पुलिस के मुताबिक, अथॉरिटी के जूनियर इंजीनियर(JE) की जिम्मेदारी थी कि वह नियमित रूप से और असिस्टेंट इंजीनियर(AE) की जिम्मेदारी पीरियोडिक बेसिस पर इस निर्माण कार्य को सुपरवाइस करने की थी. डीडीए द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज पुलिस के सामने पेश नहीं किया गया, जिससे पता चले कि इन दोनों ने कभी अपने ठेकेदार से इस पर कोई सवाल पूछा हो या आपत्ति दर्ज कराई हो.

पुलिस के मुताबिक कनिष्ट अभियंता व सहायक अभियंता को पूछताछ के लिए बुलाया गया था और उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए जरूरी मंजूरी ली जा रही है. डीसीपी गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि डीडीए और एमसीडी से जरूरी दस्तावेज जब्त किए गए हैं और उसे इस केस की जांच पूरी करने में एक महीने का समय लगेगा. हाईकोर्ट एडवोकेट अदनान यूसुफ के जरिए से दायर झुन्नू लाल श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. फिलहाल अदालत ने डीडीए के वकील को अगली सुनवाई 5 सितंबर को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि डीडीए पीड़ित परिवार को कितना मुआवजा देगा.

बता दें कि 31 जुलाई की शाम को दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश की वजह से ईस्ट दिल्ली के गाजीपुर इलाके में पानी से भरी सड़क पर आधे खुले निर्माणाधीन नाले में तनुजा (22 साल) और उनका बेटा (3 साल) की डूबने से मौत हो गई थी.

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-भारत एक्सप्रेस

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