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जब Mahatma Gandhi ने थिएटर में देखी थी अपनी जिंदगी की ये पहली और आखिरी फिल्म, उसे भी बीच में छोड़ गए बापू

Gandhi Jayanti Special: 2 अक्टूबर का दिन गांधी जंयती के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में हम आपको गांधी जी के जीवन का एक बहुत बड़ा सीक्रेट आपको बताने जा रहे हैं.

गांधी जी ने पहली फिल्म कौन सी देखी थी

गांधी जी ने पहली फिल्म कौन सी देखी थी

Mahatma Gandhi First Film: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज यानी 2 अक्टूबर 2024 को दुनियाभर में जयंती मनाई जा रही है. वैसे महात्मा गांधी के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर कई फिल्में बन चुकी हैं जिन्हें हर उम्र के लोगों ने पसंद किया है. फिर चाहे वो संजय दत्त की ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ या फिल्म ‘गांधी’ हो ये फिल्में सिल्वर स्क्रीन पर छाई रहीं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी खुद फिल्मों के बड़े फैन नहीं थे. उन्होंने अपने जीवन में सिर्फ एक फिल्म देखी जो उनकी आखिरी फिल्म भी थी. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे वो किस्सा जब पहली और आखिरी बार महात्मा गांधी फिल्म देखने के लिए थिएटर पहुंचे और वो भी आधी फिल्म देखकर ही वापस लौट आए.

बापू को नहीं था फिल्मों का शौक

दरअसल, महात्मा गांधी को बहुत ज्यादा फिल्मों का शौक नहीं था और ना ही वो ज्यादा फिल्में देखते थे. लेकिन एक बार वो भी थिएटर में फिल्म देखने पहुंचे थे. खास बात ये थी कि ये फिल्म उनके ही आदर्शों के इर्द गिर्द बुनी गई थी. लेकिन बापू को ये फिल्म कुछ खास पसंद नहीं आई थी.

गांधी जी ने कौन सी फिल्म देखी थी?

कहा जाता है कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन में सिर्फ एक फिल्म देखी थी जिसका नाम राम राज्य है. ये फिल्म बापू के उन आदर्शों पर ही थे जिन्हें वो देश में रामराज लाने के लिए अहम मानते थे. साल 1943 में आई इस फिल्म में बापू के आदर्शों के इर्द गिर्द ही कहानी रची गई थी. निर्देशक विजय भट्ट की इसी बात से प्रभावित होकर बापू ने फिल्म देखने का मन भी बनाया था.

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पहली ही फिल्म को बीच में छोड़ आए थे बापू

कई लोगों को उम्मीद थी कि इस फिल्म के बाद शायद बापू का सिनेमा को लेकर विचार बदल जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि बापू आधी फिल्म को बीच में ही छोड़कर थिएटर से बाहर निकल आए थे. इसके बाद बापू ने कभी कोई फिल्म नहीं देखी थी. ये पहली और आखिरी बार था जब महात्मा गांधी ने कोई फिल्म देखी.

महात्मा गांधी के ऊपर बनी कई फिल्में

वहीं, अगर महात्मा गांधी के ऊपर बनी फिल्मों की बात करें तो वो दर्शकों को बेहद पसंद आई थी. फिर चाहे वो संजय दत्त की ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ या फिल्म ‘गांधी’ हो. ये फिल्में बॉक्स ऑफिर पर जमकर हिट साबित हुईं. लेकिन बापू के जीवन में सिनेमा के लिए जगह कुछ खास नहीं थी. वो सिनेमा और उसके समाज से प्रभाव को लेकर अलग नजरिया रखते थे शायद इसी वजह से उन्होंने फिल्मों से हमेशा दूरी बनाकर रखा.

-भारत एक्सप्रेस 

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