गांव पहुंचा पार्थिव शरीर.
1968 में शहीद हुए जवान मलखान सिंह का पार्थिव देह 56 साल बाद मिला. विमान के क्रैश होने से मलखान सिंह शहीद हो गए थे. तब उनके शव का कोई पता नहीं चल पाया था. मलखान सिंह सहारनपुर जिले के रहने वाले थे. पांच दशक बाद मलखान सिंह का शव प्राप्त होने की जानकारी मिलने के बाद परिवार के लोग हतप्रभ हो गए, उन्हें यकीन नहीं हुआ कि आखिर इतने सालों के बाद कैसे शव मिल सकता है, लेकिन वायुसेना ने खुद अपनी तरफ से शव मिलने की आधिकारिक पुष्टि की. परिजनों को यह समझ नहीं आया कि प्रतिक्रिया में क्या कहा जाए.
परिवार का वर्षों पुराना गम हरा हो गया
मंगलवार को मलखान सिंह के छोटे भाई इसमपाल सिंह को शव मिलने की जानकारी दी गई. मलखान की पत्नी और इकलौते बेटे की मौत हो चुकी है. वहीं बहू, पौत्र गौतम व मनीष और एक पौत्री है. पांच दशक बाद शव मिलने की जानकारी के बाद परिवार का वर्षों पुराना गम हरा हो गया.
गांव के हर शख्स की आंखें नम हुईं
पोते गौतम कुमार ने कहा, “हमें कल सुबह आठ-नौ बजे के करीब यह सूचना दी गई कि आपके दादाजी का शव मिल चुका है. मेरे दादाजी एयरफोर्स में थे. वो चंडीगढ़ से किसी मिशन के लिए निकले थे, तो उनका जहाज किसी बर्फ में समा गया, जिसके बाद उनका कोई पता नहीं चला. लेकिन, अब उनके शव मिलने की जानकारी मिली है. गांव में खुशी और गम दोनों का माहौल है.” मलखान सिंह का पार्थिव शरीर गांव लाए जाने के बाद लोग देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं. इस मौके पर गांव के हर शख्स की आंखें नम है.
यह भी पढ़ें- क्या है बुलडोजर का इतिहास? पढ़ें, निर्माण से लेकर तोड़फोड़ की मशीन बनने तक की यात्रा
शहीद मलखान सिंह के परिवार की आर्थिक हालत भी ठीक नहीं है. परिवार को पूरी उम्मीद है कि शायद सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता दी जाए या कोई ढंग की नौकरी दी जाए. मलखान सिंह के दोनों पोते सहारनपुर में ऑटो चलाकर जैसे-तैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. पोते ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि वायु सेना की ओर से कोई आर्थिक सहायता दी जाएगी, लेकिन अफसोस कोई मदद नहीं दी गई. पोते गौतम ने बताया कि मदद एक तरफ, लेकिन कहीं ना कहीं उनके दिल में इस बात की खुशी है कि उनके दादा जी का शव मिल चुका है.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.