सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने के यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश , जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बाद केंद्र सरकार, देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जमीयत उलेमा ए हिन्द की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यको के शैक्षिणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन किया है.
एनसीपीसीआर ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर मदरसा बोर्ड को दी जाने वाली सरकारी फंड को रोकने को कहा था. एनसीपीसीआर ने कहा कि मदरसे में न तो बच्चों को बेसिक शिक्षा मिलती है और न ही उनको मिड डे मील की सुविधा का कोई फायदा होता है. एनसीपीसीआर की ओर से कहा गया है कि मदरसा बोर्ड आरटीई यानि शिक्षा के अधिकारी के कानून का पालन तक नहीं करते हैं.
आयोग ने यह भी कहा है कि मदरसों का पूरा फोकस केवल धार्मिक शिक्ष पर ही रहता है. जिससे बच्चों को जरूरी शिक्षा नहीं मिल पाती और वे बाकी बच्चों पिछड़ जाते है. एनसीपीसीआर की रिपोर्ट के मुताबिक मदरसा बोर्ड बच्चों के अधिकारों को लेकर सजग नही है. ना तो वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे है और न ही उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए किसी भी तरह की पहल कर रहे है.
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आयोग का तर्क है कि बोर्ड का गठन या शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली संहिताओं का पालन मरने का मतलब यह नहीं है कि मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों का पालन कर रहे है. एनसीपीसीआर द्वारा दिए गए आंकड़ो के मुताबिक मध्य प्रदेश के मदरसों में 9446 गैर मुस्लिम बच्चे है. इसके बाद राजस्थान 3103, छत्तीसगढ़ 2159, बिहार 69 और उत्तराखंड 42 का स्थान आता है. कुल मिलाकर लगभग 14, 819 गैर मुस्लिम बच्चे मदरसे में पढ़ रहे है. ओडिसा मदरसा बोर्ड के मुताबिक वहां कोई गौर मुस्लिम छात्र नही है. उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल आंकड़े उपलब्ध नही कराए है.
-भारत एक्सप्रेस
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