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Joshimath: जोशीमठ के 561 घरों में दरार, जमीन से फूट रही पानी की धार, खौफ में शहर, कई परिवारों का पलायन

Joshimath: वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया था कि शहर के ड्रेनेज व सीवर सिस्टम पर ध्यान दिया जाए. नदी से हो रहे भू-कटाव को रोका जाना चाहिए.

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जोशीमठ के मकानों में दरारें (फोटो- सोशल मीडिया)

Massive Mrotest in Joshimath: उत्तराखंड का जोशीमठ चारधाम यात्रा का प्रमुख पड़ाव है लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस इलाके में लगातार भू-धंसाव हो रहा है, जिसके चलते स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है. यहां करीब 561 घरों में दरारें पड़ गई हैं, यहां-वहां जमीन से पानी का रिसाव हो रहा है. इसको लेकर लोग बेहद डरे हुए हैं. आलम ये है कि कई लोग अपने घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं. वहीं, जोशीमठ नगर में हो रहे भारी भूस्खलन को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और गुरुवार को बद्रीनाथ हाईवे को जाम कर दिया.

लोगों ने किया प्रदर्शन

जल विद्युत परियोजना एनटीपीसी के खिलाफ लोगों ने जमकर नारेबाजी की और जल्द से जल्द जोशीमठ में कार्यरत जल विद्युत परियोजना के कार्य को रोकने की मांग की. वहीं, भाजपा संगठन ने जोशीमठ मे हो रहे भूस्खलन और क्षति के आकलन के लिए प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी के नेतृत्व में 14 सदस्यीय समिति का गठन किया है. पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट के निर्देश पर गठित समिति 6 जनवरी को स्थलीय भ्रमण कर स्थानीय निवासियों, व्यापारियों तथा जन प्रतिनिधियों से वार्ता कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपेगी.

जोशीमठ में मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने शहर को भू-धंसाव से बचाने के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं. इसके लिए सिंचाई विभाग को ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर बनाने को कहा गया है. वहीं, सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूर्ण कराकर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं. जोशीमठ पर मंडराते संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने इसी साल वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था. सितंबर में वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी.

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वैज्ञानिकों ने दिए थे कई सुझाव

वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया था कि शहर के ड्रेनेज व सीवर सिस्टम पर ध्यान दिया जाए. नदी से हो रहे भू-कटाव को रोका जाना चाहिए. निचली ढलानों पर रह रहे परिवारों का विस्थापन होना चाहिए. बड़ी संरचनाएं क्षेत्र के लिए खतरा हो सकती हैं. इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए.

शासन ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की कवायद शुरू कर दी है. इसके अलावा क्षेत्र का जियो टेक्निकल अध्ययन, प्रभावितों के पुनर्वास समेत अन्य बिंदुओं पर भी जल्द ही कदम बढ़ाए जाएंगे. ‘सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा’ ने हाल में अधिकारियों के साथ इस विषय पर मंथन किया था. सरकार शहर का जियो टेक्निकल अध्ययन भी कराएगी. इसके आधार पर प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संरचनाओं के निर्माण पर रोक लगाई जा सकती है.

-भारत एक्सप्रेस

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