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दिल्ली उर्दू अखबार निकालने वाले मौलवी बाकिर को अंग्रेजों ने फांसी दी थी, उन्हें अब कोई याद क्यों नहीं करता: Bharat Express के कॉन्क्लेव में बोले इमरान प्रतापगढ़ी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क ने 27 अक्टूबर को ‘भारत एक्सप्रेस उर्दू कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया. इसमें उर्दू के प्रसिद्ध विद्वानों और नेताओं ने हिस्‍सा लिया. इमरान प्रतापगढ़ी ने भी मंच से अपना वक्तव्य दिया.

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उर्दू भाषा के कवि, मशहूर शायर और राजनीतिज्ञ इमरान प्रतापगढ़ी

Bharat Express Urdu Conclave: भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क की उर्दू टीम के कॉन्क्लेव ‘बज़्म-ए-सहाफ़त’ में उर्दू भाषा के कवि, मशहूर शायर और राजनीतिज्ञ इमरान प्रतापगढ़ी भी शामिल हुए. इमरान कांग्रेस के राज्यसभा सांसद भी हैं.

‘बज़्म-ए-सहाफ़त’ कार्यक्रम के दौरान उन्‍होंने उर्दू पत्रकारिता का कॉन्क्लेव करने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क की सराहना की. उसके बाद उन्होंने देश की आजादी में उर्दू पत्रकारिता के योगदान, उर्दू पत्रकारों और वक्फ बोर्ड-जेपीसी की बातें कीं.

उन्‍होंने अपनी स्पीच शुरू करते हुए कहा, “सबसे पहले भारत एक्सप्रेस की पूरी टीम को बहुत बहुत मुबारकबाद! मुझे जब यहां आने के लिए बुलावा भेजा गया तो बताया गया था कि यह एक कॉन्क्लेव है. मगर, यहां आने के बाद मुझे लगा कि यह एक सेमिनार है. और, फिर सबको सुनने के बाद लगा कि यह न सेमिनार है न कॉन्क्लेव है, आपसी बातचीत है.

उन्होंने कहा, “आप सबके बीच इस अवसर पर, मुझे वसीम बरेलवी साहब का एक शेर याद आ रहा है कि मोहब्बत में बुरी नीयत से कुछ सोचा नहीं जाता. कहा जाता है कि उसको बेवफा समझा नहीं जाता. तुम्हारे साथ में कोई नयापन है तो बस ये है, बहुत तकलीफ देता है मगर छोड़ा नहीं जाता.”

‘भारत एक्सप्रेस उर्दू कॉन्क्लेव’ में इमरान प्रतापगढ़ी

उन्होंने कहा, “भारत एक्सप्रेस उर्दू का कॉन्क्लेव ‘बज़्म-ए-सहाफ़त’ पहली बार हुआ, इससे तात्पर्य है- उर्दू पत्रकारिता की महफ़िल. पत्रकारिता…जर्नलिज्म..की बात हो रही है. तो हम सोचते हैं कि मौजूदा दौर में जर्नलिज्म कहां खड़ा है. सहाफ़त कहां खड़ी है, इससे आप लोग भी वाकिफ होंगे. आपका ऐतबार उस पर कितना रह गया है, इससे हम भी वाकिफ हैं. कोई भी नई शुरूआत सबसे जरूरी है कि वो उस भरोसे को बहाल करे जो टूट गया है. और यह टूट गया है, और इतनी बार टूटा है कि जुड़ते-जुड़ते वक्त लगेगा.”

उन्होंने कहा कि उर्दू जर्नलिज्म की तारीख बहुत पुरानी है. सहाफ़त के बारे में हम सारे लोग बात करते हैं, उसे समझते हैं. गणेशशंकर विद्यार्थी ने एक बड़ी कुर्बानी दी और हिंदी पत्रकारिता आज भी उन्हें फख्र के साथ याद करती है. लेकिन अफसोस कि 1857 की क्रांति के वक्त इसी दिल्ली में देहली उर्दू अखबार निकालने वाले मौलवी बाकिर साहब को अंग्रेजों ने पहले गोली मारी और उसके बाद फांसी पर चढ़ाया. अब दुर्भाग्य है कि लोग उनकी बातें नहीं करते. न उनके नाम पर कोई अवार्ड है, न उनको याद करने की कोई कोशिश ही की जाती है.”


मौलवी मुहम्मद बाकिर देहली उर्दू अख़बार के संस्थापक और संपादक थे. वह 1857 के विद्रोह के बाद फांसी पर चढ़ाए जाने वाले पहले पत्रकार बताए जाते हैं. उन्हें 16 सितंबर 1857 को गिरफ्तार किया गया था. उसके 2 दिन बाद उन्हें बिना किसी मुकदमे के जान से मार डाला गया था.


‘भारत एक्सप्रेस उर्दू कॉन्क्लेव’ में इमरान प्रतापगढ़ी ने पत्रकारिता पर एक और शेर पढ़ा, “रात के लम्हात खूनी दास्ताँ लिखते रहे, सुबह के अखबार में हालात बेहतर हो गए.”

वक्फ बोर्ड संशोधन को लेकर गठित JPC को लेकर इमरान बोले, “मुझे यकीन है कि JPC कुछ बेहतर ही करेगी. देखना है कि इसमें क्या होगा.


मोहम्मद इमरान क्यों कहे जाते हैं प्रतापगढ़ी?

बता दें कि इमरान प्रतापगढ़ी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं. इनका पूरा नाम मोहम्मद इमरान खान है. प्रतापगढ़ के होने के कारण ही इन्‍हें इमरान प्रतापगढ़ी कहा जाता है. इमरान का जन्म 6 अगस्त 1987 को प्रतापगढ़ जिले के चमरूपुर शुक्लान शमशेरगंज में मोहम्मद इलियास खान के घर हुआ था.

इमरान के पिता डाक्टर हैं और मां एक गृहणी. कहा जाता है कि इमरान के परिवार का साहित्य से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था. गजल-नज्म और मुशायरे जैसे शब्द किसी के जेहन में भी नहीं थे. हालांकि, इमरान ने अपनी ललक के दम पर 28 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते वो मुकाम हासिल कर लिया, जिसके लिए कई लोगों को ताउम्र इंतजार करना पड़ता है.

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मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी

इमरान ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. ये 2019 मुरादाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से चुनाव भी लड़े थे. कांग्रेस ने उन्‍हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक इकाई का चेयरमैन भी बनाया था.

इमरान प्रतापगढ़ी मुशायरों के लिए मशहूर

इमरान प्रतापगढ़ी प्रारंभिक शिक्षा के बाद अवधि के कवि स्व. आद्या प्रसाद मिश्र उनमत के संपर्क में आए. वहीं से गजलों और मुशायरों की दुनिया में उनका नाम होने लगा. केपी इंटर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और प्रसिद्ध साहित्यकार लाल बहादुर सिंह ने भी उनका मार्गदर्शन किया. वह यश भारती पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं.

भारत एक्सप्रेस उर्दू कॉन्क्लेव: ‘बज़्म-ए-सहाफ़त’

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क ने 27 अक्टूबर को ‘भारत एक्सप्रेस उर्दू कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया. इसमें उर्दू पत्रकारिता कोर्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों और उर्दू पत्रिकारिता के प्रख्‍यात पत्रकारों को सम्मानित किया गया.

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– भारत एक्‍सप्रेस

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