छठ पूजा में महिलाएं नाक तक क्यों लगाती हैं नारंगी रंग का सिंदूर.
Chhath Puja 2024 Orange Vermilion Importance: चार दिवसीय छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर सप्तमी तिथि तक चलता है. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. नहाय-खाय के अगले दिन खरना पूजा की जाती है. खरना के अगले दिन संध्याकालीन अर्घ्य किया जाता है. इस दिन लोग डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व का समापन होता है. छठ पूजा में व्रती महिलाएं अपनी मांग से लेकर नाक तक नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर छठ व्रती महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं. अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में.
महिलाएं नाक से मांग तक क्यों लगाती हैं सिंदूर
छठ व्रत में महिलाएं अपनी मांग के लेकर नाक तक केसरिया रंग का सिंदूर लगाती हैं. कहा जाता है कि इस सिंदूर की तुलना सूर्य देव की लालिमा से की जाती है. नाक तक सिंदूर लगाने के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से पति की आयु लंबी होती है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि ऐसा करने से छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है. छठी मैया सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
छठ पर्व में नारंगी रंग का ही सिंदूर क्यों लगाते हैं
आमतौर पर महिलाएं अपनी मांग में लाल रंग का सिंदूर लगाती हैं. लेकिन, छठ महापर्व में बिहार और झारखंड की महिलाएं मांग से लेकर नाक तक नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं. ऐसा इस रंग की शुभता की वजह से किया जाता है. चूंकि, छठ महापर्व सूर्य देव को समर्पित है और सूर्य का रंग नारंगी है इसलिए छठ व्रत में व्रती महिलाएं नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं.
छठी मैया कौन हैं?
लोक आस्था का महापर्व छठ भगवान सूर्य को समर्पित है. इस चार दिवसीय महापर्व में सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की आराधना की जाती है. छठी मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं. इसलिए छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है. मान्यतानुसार, छठ पर्व में सूर्य-देव और छठी मैया की उपासना करने से हर प्रकार की मनोकामना पूरी होती है.