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हाथरस सामूहिक बलात्कार कांड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कप्पन को हर सप्ताह थाने में हाजिरी लगाने की जरूरत नहीं

Hathras Gang Rape: हाथरस मामले में केरल के पत्रकार सिद्धकी कप्पन की हर सोमवार को उत्तर प्रदेश के पुलिस स्टेशन जाने की शर्तों में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव कर दिया है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Hathras Gang Rape Case: हाथरस मामले में केरल के पत्रकार सिद्धकी कप्पन की हर सोमवार को उत्तर प्रदेश के पुलिस स्टेशन जाने की शर्तों में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कप्पन को हर सप्ताह लोकल थाने में हाजरी लगाने की जरूरत नहीं है. जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह आदेश दिया है. सिद्धकी की ओर से दायर जमानत का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि सिद्धकी कप्पन सीएए-एनआरसी और बाबरी फैसले को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है. सिद्धकी कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है.

कप्पन को 2020 में किया गया था गिरफ्तार

कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार पीडिता की मौत के बाद वहां जाते वक्त रास्ते में गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2022 कप्पन को जमानत देते हुए कहा था कि हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. कप्पन को करीब दो साल तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी. कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा था कि कप्पन को जेल से रिहा होने के बाद अगले 6 हफ्ते तक दिल्ली में रहना होगा और हर सप्ताह सोमवार को यहां निजामुद्दीन पुलिस थाने में हाजिरी लगानी होगी.

हाथरस में कानून व्यवस्था बिगाड़ने का भी आरोप

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ कथित संबंध रखने के लिए कप्पन सहित चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पीएफआई पर पहले भी देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोधप्रदर्शनों के लिए आर्थिक मदद का आरोप लगा था. पुलिस ने पहले भी दावा किया था कि आरोपी हाथरस में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे.

क्या है मामला?

दलित महिला से 14 सितंबर 2020 को उसके गांव के चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था और इसके एक पखवाड़े बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी. उसका आधी रात को उसके गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया था. उसके परिवार ने दावा किया था कि उनकी सहमति के बगैर अंतिम संस्कार किया गया और उन्हें आखिरी बार शव घर लाने की अनुमति नही दी गई थी.



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