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टेरर फंडिंग मामले में राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट का फैसला 21 नवंबर तक टला

राशिद इंजीनियर 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (आतंकी फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से जेल में बंद है.

Baramula MP Rashid Engineer

सांसद राशिद इजीनियर.

टेरर फंडिंग मामले में कथित आरोपी और बारामुला से सांसद राशिद इंजीनियर की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला को टाल दिया है. पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंद्र जीत सिंह नेकहा कि रशीद के खिलाफ मामला निदिष्ट सांसद/विधायक अदालत में स्थानांतरित किया जाए या नहीं. उन्होंने पहले कहा था कि वर्तमान मामला सांसदों के खिलाफ सुनवाई के लिए बनी विशेष अदालत में जा सकता है, क्योंकि राशिद बारामूला से सांसद हैं.

न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह पहले अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर गौर करेंगे, उसके बाद जमानत पर फैसला करेंगे. कोर्ट नियमित जमानत के साथ-साथ इस मसले पर भी 21 नवंबर को फैसला सुनायेगा. रशीद ने अपनी अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था.

राशिद इंजीनियर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराया था. राशिद इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद के नाम से भी जाना जाता है. वह 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (आतंकी फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से जेल में बंद है.

बता दें कि कश्मीरी कारोबारी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान पूर्व विधायक शेख अब्दुल राशिद का नाम सामने आया था. एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को फंड देने के आरोप में वटाली को गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब बट्ट उर्फ पीर सैफुल्ला के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

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एनआईए में मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए- मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

-भारत एक्सप्रेस



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